इमाम हुसैन अस की दर से मांगने वाले इंसान का दिल साफ पाक होना ज़रूरी है

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डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम इस दुनिया मे कदम रखते ही अपनी अता के दरवाजे खोल दिए और अपने करम का मुज़ाहरा शुरू कर दिया। फितरूस नामक मलक और फरिश्ते को जो परवर दिगार के अताब में मुब्तेला था जब वो मुबारक बाद देने के लिए इमाम हुसैन की विलादत के सिलसिले से रसूले अकरम की खिदमत में आया तो रसूले अकरम ने कहा कि आज हुसैन का दिन है हुसैन से हुसैन के वसीले से तलब करो और जब उसने इमाम हुसैन अस के दरवाजे से मस किया तो परवर दिगार ने उसके बालो पर दुबारा अता किया जो उससे छीन लिए गए थे और इमाम हुसैन अपने पैरों पर चलने के काबिल न हुए थे उन्होंने एक फरिश्ते को उड़ने के काबिल बना दिया। महफ़िल का संचालन अफसर हल्लौरी ने किया। देर रात तक हुई महफिल में श्रोताओं के जमावड़ा रहा।
उक्त उदगार तहसील क्षेत्र के हल्लौर स्थित चांदनी चौक पर हसन अब्बास बाबू किराना एण्ड ब्रदर्स द्वारा आयोजित कदीमी महफ़िल जश्ने आमदे फातहे कर्बला में इमाम जुमा व जमात हल्लौर शाहकार हुसैन ज़ैदी ने अपनी तकरीर के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन अस का सिलसिला आज भी जारी व सारी है आज भी पूरी दुनिया पूरे हिंदुस्तान में चाहे वो हिन्दू हो चाहे वो मुसलमान हो चाहे वो सिख हो चाहे वो ईसाई हो वो इमाम हुसैन अस की ताजिया उनके ताबूत और उनके नाम से मंसूब कर्बला और उनके रौज़े पर आकर अपनी मन्नते मांगता है और अपनी मुरादे पाता है और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के वसीले से परवर दिगार उन्हें अता करता है। जिसकी जो मुराद होती है पूरी होती है हुसैन अस कल भी अता कर रहे थे हुसैन अस आज भी अता कर रहे है और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की दर से मांगने के लिए इंसान के दिल का साफ होना पाक होना ज़रूरी है और इंसान का इंसान होना ज़रूरी है। जो भी इंसानियत के मेयार पर खरा उतरकर पाक नियत से इमाम हुसैन अस से माँगता है इमाम हुसैन बगैर उसके धर्म जाति को देखे हुए उसे अता करते है। महफ़िल की शुरुआत कारी शकील अहमद व नातेपाक शादाब संजू ने पेश किया। इसके बाद शायर बेताब, आले रज़ा, शमशाद, रैना, असर, काज़िम मेहदी, अज़ीम सज्जादी, रियाज़ जमाल, अर्श, मंज़र, जाबाज़, आलम, मोजिज़, खुलूस, खुर्शीद जफर, नौशाद, अली मेहदी मोजिज़, हैदरे कर्रार, हसन जमाल, कौसर, जलाल, अज़ीम नाज़िम, हसन सादिक, शबीह, फलक, काविश आदि शायरों ने अपने अपने कलाम पढ़कर खूब दाद बटोरी। महफ़िल के दौरान हसन अहमद बाबू, हसन अब्बास बबलू,इरफान, तशबीब हसन, कसीम रिज़्वी, पप्पू पल्सर, दरयाफ्त हुसैन, असगर, गुलाम, अज़ीम बबलू, नाज़िम करबलाई, मुन्नू, रज्जन, संजू, सीमाब, लल्ला, शमशाद अली, जानशीन सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
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