दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण

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ब्रह्माकुमारीज वरदानी भवन में हुआ आयोजन
ललितपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमार ईश्वरीय विश्व-विद्यालय वरदानी भवन के तत्वाधान में एमएसडी डिग्री कॉलेज जाखलौन में जिला सेवा केन्द्र इंचार्ज राजयोगिनी बी.के.चित्ररेखा दीदीजी के सानिध्य में कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। दीदी जी ने सभी को विद्यालय का परिचय देते हुए कहा कि स्वयं परमपिता परमात्मा द्वारा स्थापित एक वैश्विक आध्यात्मिक संगठन है, जिसका सफलतापूर्वक प्रबंधन और संचालन मातृशक्ति द्वारा, परमात्मा के निर्देशानुसार बहुत ही सुचारू रूप से किया जा रहा है। इस संस्था का लक्ष्य है, शांतिमय विश्व की पुनर्स्थापना जिसका आधार है स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन। परमात्मा द्वारा शिक्षित राजयोग मेडिटेशन एक ऐसा अभ्यास है जिसके माध्यम से हम परमात्मा से जुडऩा सीखते हैं। राजयोग के नियमित अभ्यास से हम परमात्मा से सर्व संबंधों की अनुभूति एवं सर्व शक्तियों की स्वयं में धारणा कर सकते हैं। यह एक बेहद सरल परंतु शक्तिशाली अभ्यास है, जो कहीं भी, किसी भी समय और खुली आँखों के साथ किया जा सकता है। राजयोगिनी बीके मायारानी दीदीजी ने कहा कि इतिहास कहता है कल सुख था, और विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा, लेकिन अध्यात्म कहता है आज सुख है और हर पल सुख है। पवित्रता, प्रेम, ज्ञान, सुख, शांति, शक्ति, आनंद ये आत्मा के निज गुण है। जिन्हें मनुष्य आत्माएं भूल गई है। उनकी स्मृति से आत्मा में पुन: जागृति आ जाती है। राजयोग के नियमित अभ्यास वह अपने जीवन को सुखद एवं भरपूर बना सकती है। अतएव निस्वार्थ प्रेम ही सुंदर संबंधों की चाभी है। खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें। बीके प्रीति बहन ने कहा कि जहां धर्म की दीवारें मनुष्यों को एक-दूसरे से अलग करती हैं। वहीं ब्रह्माकुमारज शांति स्थापित करने का एक सरल सूत्र सिखाती हैं। अंत में सभी बहनों ने दैवी भ्राता विजय निरंजन दादीजी को जन्मदिन की कोटि-कोटि शुभकामनाएं दी। इस कार्यक्रम में बीके प्रियंका बहन, बीके निशा बहन, प्रबंधक भ्राता छोटे राजा, मिश्राजी, नेहरू महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो.भागवत नारायण शर्मा, छत्रपति शिवाजी डिग्री कॉलेज पाली के प्राचार्य करूणाकर शर्मा, प्राचार्य राजवीर, इंजीनियर नितिन निरंजन समस्त स्टाफ एवं अनेक भाई-बहन उपस्थित रहे।
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