सम्भल वासियो को गजरौला तक रेल लाइन की उम्मीद, मुहिम में डॉक्टर आए आगे
रेल लाइन बिछवाने की मांग को लेकर एक्स पर ट्वीट अभियान रफ्तार पकड़ता जा रहा है। इस सिलसिले में चार दिनों में हजारो लोगों ने अपने मोबाइल से रेलमंत्री ओर प्रधानमंत्री को एक्स पर ट्वीट किए हैं। इस अभियान में शुक्रवार को मानव जन सेवा समिति की से चलाए जा रहे अभियान के तहत सुशील सक्सेना हॉस्पिटल में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया हैं। क्षेत्र के लोगों को उम्मीद है कि सरकार इस बार के बजट में इस पिछड़े क्षेत्र की 70 वर्षों पुरानी मांग को जरूर पूरा कर देगी।
बताते चले कि देश में वंदे भारत ट्रेन दौड़ने लगी हैं और बुलेट ट्रेन को दौड़ाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन भारत का एक ऐसा जनपद है जहां रेल के नाम पर मात्र दो पैसेंजर ट्रेन है। ट्रेन आने के बाद यहीं से वापस भी हो जाती है। उत्तर प्रदेश का सम्भल जनपद मैंथा, हड्डी सींग हैंडीक्राफ्ट और आलू का हब माना जाता है। व्यापार को बढ़ाने में रेल का अहम योगदान होता है, लेकिन दशकों से लोग सम्भल से रेल विस्तारीकरण की मांग कर रहे हैं। आज तक इस ओर न तो सरकारों ने ध्यान दिया और न ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने रुचि दिखाई दी। सम्भल से दिल्ली की दूरी मात्र 180 किलो मीटर है। उसके बाद भी सम्भल के लोग रेलसेवा से वंचित हैं। जबकि नाम के लिए मुरादाबाद से बिलारी होकर सम्भल हातिम सराय तक रेलवे लाइन बिछी है और यहां से आगे रेललाइन बंद है। मुरादाबाद से सम्भल के लिए मात्र दो ट्रेनों का संचालन किया जाता है। एक ट्रेन सुबह दस और दूसरी शाम को छह बजे जाती है। सम्भल से गजरौला रेलवे लाइन वितारीकरण न होने की वजह से सम्भल विकास से वंछित रह गया। सम्भल मैंथा और हैंडीक्राफ्ट का कारोबार का एक बड़ा हब है। यहां से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग दिल्ली और अन्य शहरों के लिए जाते हैं। ऐसे में लोगों को निजी वाहन का उपयोग करना पड़ता है। लोगों ने विस्तारीकरण को लेकर आंदोलन और अभियान चलाये, रेलमंत्री को हजारों की संख्या में पोस्टकार्ड लिखकर भेजे, लेकिन आज तक रेलवे लाइन का सपना पूरा नहीं हो सका। सम्भल के रेलवे लाइन का मुद्दा कई बार सांसदों ने संसद भवन में उठाया, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ।
2017 में रेल बजट हुआ था पास, बाद में रद्द
हातिम सराय रेलवे स्टेशन से गजरौला रेलवे लाइन विस्तारीकरण का प्रस्ताव तीन फरवरी 2017 को रेल बजट में पास हुआ था। बजट में पास होने के बाद सम्भल के लोगों को लगा की अब दशकों पुराना सपना अब पूरा हो जाएगा, लेकिन बजट पास होने के बाद सम्भल गजरौला रेलवे लाइन का विस्तारीकरण नहीं हो सका। अब यह प्रस्ताव भी कैंसिल हो गया है।
गजरौला काशीपुर तक का मिलता है टिकट
स्टेशन पर रेलवे ने कंप्यूटरकृत प्रणाली सिस्टम तो लगा दिया लेकिन लोगों को लंबी दूरी का टिकट तक स्टेशन से नहीं मिल पाता है। स्टेशन मास्टर ने बताया कि स्टेशन से मुरादाबाद, अमरोहा, गजरौला, काशीपुर, नजीबाबाद तक का टिकट मिल जाता है। सम्भल गजरौला रेलवे विस्तारीकरण का मुद्दा दशकों पुराना हो गया है। आज तक किसी राजनीतिक दल ने सम्भल के लोगों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा नहीं किया है। रेलवे लाइन विस्तारीकरण न होने से सम्भल विकास के मामले में पिछड़ता जा रहा है। सम्भल रेलवे लाइन विस्तारीकरण को लेकर सम्भल से चुने गए सांसदों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जिसकी वजह से आज तक लोगों की महत्वपूर्ण मांग पूरी नहीं हो सकी। रेलवे लाइन विस्तारीकरण होने से रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और यहां के कारोबार में तरक्की होगी।
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