उरई (जालौन)। चंबल नदी के ऐतिहासिक तट पर, जहां चंबल, यमुना, सिंध, पहुज और क्वारी नदियों का संगम होता है, चंबल मैराथन 2025 का आयोजन अत्यंत उत्साह और ऐतिहासिकता के साथ संपन्न हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य चंबल प्रदेश की स्थापना की मांग को जनमानस तक पहुंचाना और क्षेत्रीय विकास के लिए एकजुटता दिखाना था।
चंबल मैराथन का यह 5वां संस्करण उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के चार जिलों—इटावा, औरैया, भिंड, और जालौन—से होकर गुजरा। यह दौड़ कुल 42.195 किलोमीटर लंबी थी, जिसकी शुरुआत सुबह 8:30 बजे इटावा के प्रसिद्ध डॉल्फिन सफारी सिद्धबाबा सहसो से हुई और समापन पंचनद धाम महासंगम पर हुआ।
मैराथन का मार्ग हनुमंतपुरा, बल्लो गढ़िया, भिंड जिले के सनावई और हरकेपुरा, जालौन जिले के सुल्तानपुरा जागीर, चंबल आश्रम हुकुमपुरा, बिलौड़, कर्रा, मई, गंज, औरैया के जुहीखा, और तातारपुर जैसे गांवों से होकर गुजरा। यह मार्ग चंबल के अनछुए प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करता है।
इस आयोजन के दौरान चंबल के चारों जिलों के जिला प्रशासन ने पूरी सहृदयता से सहयोग किया। हर रूट पर सुरक्षा और सुविधा का विशेष ध्यान रखा गया। स्थानीय निवासियों ने भी उत्साहपूर्वक धावकों का स्वागत किया और रूट पर पुष्पवर्षा के साथ पानी और नाश्ते की व्यवस्था की।
मैराथन में भाग लेने वाले धावकों का जोश देखते ही बनता था। इनमें युवाओं के साथ-साथ बुजुर्गों और महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सभी प्रतिभागियों ने चंबल प्रदेश की स्थापना के समर्थन में अपने संकल्प को दोहराया।
मैराथन का समापन पंचनद धाम पर आयोजित भव्य समारोह में हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इतिहासकार देवेंद्र सिंह चौहान एडवोकेट उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि सरोकारी वकील सूरज रेखा त्रिपाठी, खेल प्रशिक्षक भुवनेश कुमार, चंबल परिवार के संयोजक चन्द्रोदय सिंह चौहान, किसान नेता रामशंकर सिंह, और गजेंद्र सिंह जाटव एडवोकेट भी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बने।
समारोह के दौरान सभी धावकों को सर्टिफिकेट, मेडल और ट्रैकसूट देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि देवेंद्र सिंह चौहान ने कहा,
“चंबल क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसके विकास को सुनिश्चित करने के लिए चंबल प्रदेश की स्थापना अत्यंत आवश्यक है।”
चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राणा ने चंबल प्रदेश की स्थापना के लिए 23 प्रस्तावित जिलों की सूची प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि यह प्रस्तावित राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के उन जिलों को शामिल करेगा, जिनका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान चंबल क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण रहा है।प्रस्तावित जिलों की सूची:1. औरैया 2. मैनपुरी 3. फिरोजाबाद 4. इटावा 5. आगरा 6. कानपुर देहात 7. जालौन 8. झांसी 9. दतिया 10. गुना 11. शिवपुरी 12. ग्वालियर 13. भिंड 14. मुरैना 15. श्योपुर 16. धौलपुर 17. सवाई माधोपुर 18. कोटा 19. बारा20. जगम्मनपुर21. भदावर भूमि22. बाह23. सबलगढ़इनमें चार नए जिलों का निर्माण प्रस्तावित है।
डॉ. राणा ने कहा,
“चंबल प्रदेश का गठन क्षेत्रीय असंतुलन को समाप्त करेगा और विकास, शिक्षा, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर खोलेगा।” उन्होंने चंबल मैराथन को इस जागरूकता अभियान का एक प्रभावशाली माध्यम बताया।
चंबल मैराथन को सफल बनाने में कई व्यक्तियों और संस्थाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनमें महेश द्विवेदी, देवेंद्र सिंह फरहा, डॉ. राजेश सिंह चौहान, दीपक सिंह सेंगर, राहुल परिहार, शिवेंद्र सिंह सेंगर, सोनू निषाद, सौरभ कुमार, अवधेश सिंह चौहान, सुरेंद्र सिंह, आशु सेंगर, राहुल कुमार, पवन राजौरिया, आकाश राजौरिया, सूरज कुशवाहा, राहुल यादव, रेशू दद्दा, राहुल मिश्रा, और अमरनाथ सहयोगी शामिल थे।
चंबल मैराथन जनसहयोग और एकजुटता का प्रतीक बना। मैराथन के दौरान स्थानीय निवासियों ने धावकों का उत्साह बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया। पूरे रूट पर लोगों ने पुष्पवर्षा की और नाश्ते व पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की। इस आयोजन ने चंबल क्षेत्र में एकजुटता और समर्पण की अद्भुत मिसाल पेश की।
चंबल मैराथन ने न केवल क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक कदम बढ़ाया, बल्कि चंबल प्रदेश की स्थापना की मांग को जनमानस तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। प्रतिभागियों और आयोजकों के जोश और समर्पण ने इस आयोजन को चंबल क्षेत्र के इतिहास में अमर कर दिया।
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