फातिमा ज़हरा की विलादत पर महफिल का आयोजन
फातिमा जहरा की जिंदगी दुनिया की तमाम औरतों के लिए नमूना ए अमल है। जो औरतें फातिमा जहरा की पैरवी करते हुए जिंदगी गुजरती हैं वह दुनिया में भी कामयाब हैं और आखिरत में भी। यह बात शिया जामा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना सरकार मेहंदी साहब ने मुसलमानों के आखिरी नबी हजरत मोहम्मद मुस्तफा की इकलौती बेटी हजरत फातिमा जहरा की योमे विलादत बासआदत के मौके पर मोहल्ला सादात स्थित इमामबाड़ा बाबुल हवाइज में कही। खिताब करते हुए मौलाना ने फरमाया कि फातिमा जहरा ने एक बेहतरीन बेटी, बेहतरीन बीवी, और बेहतरीन मां का किरदार बखूबी निभाते हुए मिसाली जिंदगी गुजारी। उन्होंने कहा कि फातिमा जहरा जब भी आप सरवरे कायनात रसूले खुदा के सामने जाती थी आप रसूले खुदा फातिमा जहरा की ताजीम के लिए खड़े हो जाते थे और जब तक खड़े रहते जब तक आप मसनद पर ना बैठ जातीं। मौलाना ने कहा कि रसूले खुदा जब तक हयात रहे हर नमाज के बाद फातिमा जेहरा के दरवाजे पर सलाम करना नहीं भूले। उन्होंने कहा कि मोहम्मद साहब ने ताकीद की थी कि फातिमा जेहरा मेरे जिगर का टुकड़ा है। मगर हजरत मोहम्मद साहब की वफात के बाद उम्मत ने फातिमा जहरा को खूब तड़पाया। यहां तक के उनके घर के दरवाजे को आग तक लगा दी। इससे पूर्व महफिल का आगाज तिलावत कलामे पाक से किया गया। उसके बाद दर्जनों लोगों ने अपने कलाम पेश किए। शायर चमन हैदर ने अपना कलाम पढ़ते हुए कुछ यूं कहा मांगी- दुआ रसूल ने की कौसर की शक्ल में, दे दी खुदा ने आपको नेमत बतूल की। अलाउद्दीन सैफी ने कहा- मेरा भी उनके गुलामो में नाम आ जाए, जो तेरी आल के नौकर हैं फातिमा जहरा। मौलाना जामिन ने फरमाया- यह फकत फातिमा जहरा ही का घर था जिसमें, चक्की चलती तो तिलावत की सदा आती थी। बिलाल बाक़री ने कुछ यूं पढ़ा- सर उठाकर हक को हक बातिल को बातिल कह सके, खून के कतरों में शामिल कर्बला इतनी तो हो। महफिल में शकील अल्वी ने पढ़ते हुए कहा कि- भीख लेने के लिए ड्यूडी पर आते थे मलक, घर तेरा मशहूर था ऐसी सकावत के लिए। फजले अकबर ने पढ़ा- तेरी वो जात है जेहरा के कुदरत नाज करती है, शरियत नाज करती है रिसालत नाज करती है। महफिल में राहिल, वासिल, मोहम्मद अली नकवी ने भी अपने कलाम पढ़े। महफिल के आखिर में मौलाना सरकार मेहंदी साहब ने दुआ कराई। महफिल का संचालन मोहम्मद बिलाल तथा सदारत मौलाना सरकार मेहंदी ने की।इस मौके पर जीशान हैदर, मोहम्मद असगर, हुसैन मेहंदी, मोहम्मद मून, जावेद केसर एडवोकेट, जहीर अकबर, सादिक अली, सोहेल अब्बास, मोहम्मद चांद, मोहम्मद जमा सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।
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