सिद्धार्थनगर। जिले की सीमा से नेपाल के कृष्णानगर तक माओवादी केंद्र के बढ़ते प्रभाव का असर दिखने लगा है। पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली माओवादी केंद्र ने पार्टी में अधिक से अधिक महिलाओं को जोड़ने की मुहिम का भी असर देखा जा रहा है। कृष्णानगर में आयोजित माओवादी केंद्र की एक जनसभा में भारी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं। यह जनसभा न्यायालय के माओवादी केंद्र के एक आंदोलन (जनयुद्ध) का नाम बदलने के विरोध में था। इस जनसभा में माओवादी केंद्र के बड़े नेताओं ने संबोधित किया। जानकारों की मानें तो नेपाल के तराई बेल्ट तक प्रचंड का प्रभाव नेपाली कांग्रेस और ओली के नेतृत्व वाले कम्युनिस्ट पार्टी एमाले के लिए बड़ा खतरा है। माओवादी केंद्र की महिला विंग का कृष्णानगर में यह पहला सम्मेलन है जिसमें कई सारे क्रांतिकारी घोषणाएं भी की।
सभा को संबोधित करते हुए तराई क्षेत्र में खासा प्रभाव रखने वाले मौलाना मशहूद खां ने साफतौर पर कहा कि न्यायालय ने सरकार के दबाव में आकर न्याय के मूल सिद्धांतों को कुचल दिया।
कृष्णनगर में माओवादी केन्द्र पार्टी की महिला विंग, अखिल नेपाल महिला संघ क्रांतिकारी समिति, का पहला सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता माओवादी केन्द्र पार्टी की केंद्रीय सदस्य शांति देवी ने की, जबकि विशिष्ट अतिथियों में जिला अध्यक्ष विष्णु बेलबासे, माओवादी केन्द्र लुम्बिनी प्रदेश के सदस्य मौलाना मशहूद खां नेपाली, राजेन्द्र आचार्य और जावेद आलम खान शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन गडेश प्रसाद बजाडे ने किया।
इस सम्मेलन में पूर्व डिप्टी मेयर शबनम खातुन की अध्यक्षता में 17 सदस्यीय समिति का गठन किया गया। शांति देवी ने अपने संबोधन में महिलाओं की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि महिलाएं किसी भी समाज में परिवर्तन का मुख्य स्रोत हैं। हमारी पार्टी ने हमेशा महिलाओं के अधिकारों और समान अवसरों का समर्थन किया है। यह सम्मेलन महिलाओं की क्रांतिकारी शक्ति को संगठित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें विश्वास है कि महिलाओं का नेतृत्व नेपाल में विकास के नए अध्याय की शुरुआत करेगा।
विष्णु बेलबासे ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि माओवादी आंदोलन की सफलता महिलाओं की भागीदारी के बिना असंभव थी। यह सम्मेलन महिलाओं को राष्ट्रीय धारा में शामिल करने के हमारे प्रयास का एक हिस्सा है। हम आशा करते हैं कि नई गठित समिति सामाजिक विकास और न्याय के लिए सक्रिय रूप से काम करेगी।
मौलाना मशहूद खां नेपाली ने माओवादी पार्टी की सफलता को जनता के समर्थन का प्रतीक बताते हुए कहा हालिया उप-चुनावों में जनता ने माओवादी पार्टी पर जिस विश्वास का इज़हार किया, वह हमारी क्रांतिकारी संघर्ष की सत्यता और जनता की सेवा का प्रमाण है। यह केवल एक सफलता नहीं है, बल्कि यह नेपाल के विकास और न्याय आधारित व्यवस्था की नींव रखेगा। हम जनता के इस विश्वास पर खरा उतरने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
“उन्होंने न्यायपालिका के हालिया फैसले पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा न्यायपालिका ने ‘जनयुद्ध’ शब्द पर प्रतिबंध लगा कर खुद को सरकार के दबाव में दिखा दिया है। अगर अतीत में जनयुद्ध नहीं हुआ होता तो आज न केवल यह देश लोकतंत्र से वंचित होता, बल्कि अदालत भी एक सम्राट की दासी होती। वह युद्ध जिसने जनता को उनके अधिकार दिलाए, आज उसी को दबाने की कोशिश की जा रही है। यह इतिहास के साथ अन्याय है, और हम इसे किसी भी हालत में सहन नहीं करेंगे।”
उन्होंने न्यायपालिका को संबोधित करते हुए कहा:
“न्यायपालिका जनता का संरक्षक संस्थान है, इसे अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। अगर न्यायपालिका जनता के अधिकारों को दबाएगी, तो इतिहास उसे कभी माफ नहीं करेगा। जनयुद्ध सिर्फ हमारी संघर्ष की नींव नहीं है, बल्कि यह इस देश की लोकतांत्रिक आत्मा का हिस्सा है। हम हर मोर्चे पर अपने अधिकारों और जनता के विश्वास की रक्षा करेंगे।”
जावेद आलम खान नेकहा कि महिलाओं की भागीदारी किसी भी समाज के विकास के लिए अनिवार्य है। माओवादी केन्द्र की यह पहल महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने और देश के निर्माण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में तुफैल अहमद खान, इन्दिरा पन्त और सीता बूढ़ा थोकि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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