बरेली || आईवीआरआई के स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि डॉ. तरूण श्रीधर ने महात्मा गांधी के मोनोग्राफ ‘स्वास्थ्य की कुंजी’ का जिक्र करते हुए कहा कि अंडा मांसाहारी नहीं होता है। जो लोग दूध ले सकते हैं, उन्हें अंडे के सेवन में कोई एतराज नहीं होना चाहिए।
पशु स्वास्थ्य का अर्थ मानव स्वास्थ्य है। जैसे मांसपेशियों की मजबूती के लिए भोजन और व्यायाम जरूरी है, वैसे ही मस्तिष्क के विकास के लिए सही पोषण और गतिविधि चाहिए। लिहाजा, पशुधन से भोजन के विकल्प सभी को पता होने चाहिए। धार्मिकता के साथ तर्कसंगत होंगे तभी सर्वांगीण विकास का लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।
बरेली के इज्जतनगर स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के स्थापना दिवस अभिभाषण के दौरान मंगलवार को ये विचार इंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (आईसीएफए) के महानिदेशक और मत्स्य, पशुपालन डेयरी मंत्रालय के पूर्व सचिन डॉ तरुण श्रीधर ने व्यक्त किए।
उन्होंने महात्मा गांधी के मोनोग्राफ ‘स्वास्थ्य की कुंजी (1942)’ का उल्लेख करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने लिखा है कि अंडे को आम आदमी मांसाहारी भोजन के रूप में मानता है। वास्तव में ये एक बांझ अंडा है, जो कभी भी चूजे में विकसित नहीं होता। जो दूध ले सकता है उसे निष्फल अंडे सेवन में आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध के मुद्दों के लिए पशुधन क्षेत्र को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।
मनुष्यों में 75 फीसदी रोगों की वजह होते हैं पशु
डॉ. तरुण ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मौजूदा मानव संक्रामक रोगों में से 60 प्रतिशत जूनोटिक हैं। जो सीधे संपर्क के माध्यम से या भोजन, पानी, पर्यावरण से जानवरों से मनुष्यों में फैलते हैं। उभरते संक्रामक मानव रोगों में से 75 फीसदी पशुजनित है।
आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि एशिया को ऐतिहासिक संस्थान बनाने में पूर्व निदेशकों में 6 ब्रिटिश निदेशक की भूमिका रही। संस्थान को 1983 में डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला। संस्थान में 166 बाहरी वित्त पोषित शोध परियोजनाएं चल रही हैं। 589 एल्मुनाई देश के 29 राज्य कृषि, पशु चिकित्सा महाविद्यालयों में कार्य कर रहे हैं। कार्यशाला में डॉक्टर जगबीर सिंह त्यागी, डॉ. संदीप सरन, डॉ. गौतम , डॉ. मतीन अंसारी, डॉ. एमपी सागर, डॉ. दिव्या शर्मा, डॉ. राज नारायण, डॉ. चंद्रदेव, डॉ. सिम्मी तोमर आदि उपस्थित रहे
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