हमीरपुर ।उत्तर भारत के महान संत नागा स्वामी रोटीराम बाबा ने यहां हमीरपुर जिले के सुमेरपुर कस्बे में शिक्षा की अलख जगाई थी। इन्होंने गायत्री तपोभूमि में लम्बे समय तक साधना की थी। मानवता के कल्याण के लिए न सिर्फ पहली बार गायत्री महायज्ञ का आयोजन कराया था बल्कि इस पिछड़े इलाके को लोगों को शिक्षित करने के लिए इंटर से लेकर स्नातक के संस्थाएं भी शुरू कराई गई। उनकी याद में हर साल गायत्री महायज्ञ को लेकर अब यहां धूम मच गई है।
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में उत्तर भारत के महान संत स्वामी रोटीराम की तपोभूमि में श्रीगायत्री महायज्ञ की ६८वीं वर्षगांठ की धूम मच गई है। रोटीराम महाराज के अनुयायी संत लोग बड़ी संख्या में आकर यहां डेरा जमाए हैं। नागा स्वामी रोटीराम बाबा ने लोक कल्याण के लिए न सिर्फ गायत्री तपोभूमि में लम्बे समय तक साधना की बल्कि उन्होंने पहली बार गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ किया था। महायज्ञ के भंडारे में देशी घी कम होने पर स्वामी जी के कहने पर पानी डालकर पूड़ियं तली गई थीं। हजारों लोग यह चमत्कार देख दंग रह गए थे।
करीब साढ़े पांच दशक पहले नागा स्वामी रोटीराम बाबा हमीरपुर जिले के सुमेरपुर कस्बे में गायत्री तपोभूमि पर डेरा जमाया था। साल 1957 से 1984 तक ये तपोभूमि पर ही रहकर साधना करते रहे। इन्होंने सुमेरपुर क्षेत्र के अलावा पढ़ोरी, अरतरा, कुंडौरा, इंगोहटा समेत तमाम स्थानों पर प्रवास किया था। सुमेरपुर में 1957 और 1982 में स्वामी रोटीराम बाबा ने विशाल यज्ञ का आयोजन कराया था।
रोटीराम बाबा को उसी समय जानकारी मिली कि यहां जूनियर के आगे की पढ़ाई के लिए शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। तब नागा स्वामी जी ने पहली बार 1957 में गायत्री तपोभूमि में महायज्ञ संपन्न होने पर इंटरकालेज की नींव रखी थी। उनकी इच्छा यह भी थी कि इंटरकालेज के बाद स्नातक की शिक्षा की भी व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन ये इच्छा उनके ब्रह्मलीन होने के बाद 2001 में पूरी हो सकी।
उन्हीं के नाम पर नागा स्वामी बालिका डिग्री कालेज की स्थापना की गई। इसके अलावा कस्बे में ही संस्कृत विद्यालय भी शुरू कराया गया है। 68वीं गायत्री महायज्ञ को लेकर बुंदेलखंड और आसपास के तमाम इलाकों से बड़ी संख्या में संत और महात्माओं ने यहां आकर डेरा डाला है। कस्बे के बुजुर्ग गणेश सिंह विद्यार्थी, मुन्नीलाल, मिथलेश द्विवेदी, भवानीदीन समेत तमाम लोगों ने बताया कि दूसरी बार गायत्री महायज्ञ के भंडारे में देशी खत्म होने पर नागा स्वामी रोटीराम के कहने पर पानी में पूड़ियां तली गई थीं।
सब लोग स्वामी का यह चमत्कार देख दंग रह गए थे सुमेरपुर कस्बे में गायत्री आश्रम नागा स्वामी रोटीराम बाबा की तपोभूमि रही है। इस तपोभूमि का अब लगातार विकास हो रहा है। कस्बे के समाजसेवी गणेश सिंह विद्यार्थी व मिथलेश द्विवेदी ने बताया कि नागा स्वामी उत्तर भारत के महान संत थे। जिनकी तपोभूमि पर पहुंचते ही मन को बड़ी शांति मिलती है। बताया कि स्वामी जी ने पहली बार 1957 में यहां गायत्री महायज्ञ किया था तब से हर साल यहां इसका आयोजन बड़े स्तर पर होता है।
महाराष्ट्र में मोटा भाई के नाम से हुए थे विख्यात नागा स्वामी रोटीराम ने लोक कल्याण के लिये बीच-बीच में तपस्या के तमाम अज्ञात ठिकाने भी बनाए थे। साहित्यकार गणेश सिंह विद्यार्थी ने बताया कि नागा स्वामी देश के तमाम राज्यों में भी रहे है। अपने शिष्यों से बचने के लिए स्वामी जी अपना नाम भी बदल लेते थे। बताया कि देश के हिमाचल प्रदेश में ये मतंग स्वामी के नाम से विख्यात हुए थे वहीं नैमिष में अवधूत स्वामी, महाराष्ट्र में मोटा बाबा के नाम से रोटीराम बाबा विख्यात रहे थे।
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