गोरखपुर । मन ही मनुष्य के समस्त दुखों का कारण होता है। दुख और मोक्ष की ओर मन ही ले जाता है । धर्मराज युधिष्ठिर के बचन मानव समाज के लिए एक वरदान है।
उक्त बातें आचार्य विनय कुमार शास्त्री ने कही। वह घघसरा नगर पंचायत के वार्ड संख्या 11 परशुराम नगर में श्रीमद् भागवत व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को कथा रसपान कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विपत्ति काल में नियति ने धर्मराज युधिष्ठिर की कठोर परीक्षा ली। परंतु वह अपने धर्म से तनिक भी विचलित नहीं हुए। वल्कि यक्ष के प्रश्नों का दृढ़ता पूर्वक भय मुक्त होकर उत्तर दिया।
युधिष्ठिर से पूछे जाने पर कि पांचो भाइयों में नकुल को क्यों जीवित किया जाय ? भीम और अर्जुन को क्यों नहीं। धर्म राज युधिष्ठिर ने कहा कि हम दो माताओं के पुत्र हैं। धर्म के तराजू पर एक माँ का एक पुत्र जीवित है। दूसरी माता का भी एक पुत्र जीवित होना चाहिए । धर्म की तराजू पर मेरे लिए दोनों माताएं समान हैं । उनकी धर्मशिलाता को देखकर यक्ष ने सभी भाइयों को जीवित कर दिया। उक्त अवसर पर दुर्गावती देबी, विनोद कुमार पांडेय,पूर्व प्रधान पूजा पांडेय, अमरावती पांडेय, सत्यवान पांडेय, बलराम पांडेय,आचार्य विश्व देव पाण्डेय, उदयनाथ पांडेय, बलई बाबा, संतबाली गौड़, रामजीत, प्रेमचंद गौड़,मोहरा प्रसाद समेत कई लोग मौजूद थे।
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