ईवीएम हमारे देष का गौरव है जो अनेक चुनावों में निर्वाचकों के काम आता रहा है। इससे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती
1. ईवीएम का विकासक्रम और उनसे छेड़छाड़ क्यों नहीं की जा सकती, यह नीचे के अनुच्छेदों में दर्शाया गया है।
ऽ इसकी बैलट यूनिट वह जगह है जहाँ उम्मीदवार के नाम और दल (या स्वतंत्र) के चुनाव चिन्ह के बगल में बटन दबाकर मतदाता अपने इच्छित व्यक्ति के पक्ष में मतदान करता/ती है।
ऽ इसकी कंट्रोल यूनिट मतदान अधिकारी के सामने रहती है जिस पर लगे बैलट बटन को मतदान अधिकारी द्वारा दबाए जाने पर मतदाता बैलट यूनिट में अपना मतदान करता/ती है। कंट्रोल यूनिट में प्रत्येक उम्मीदवार के लिए डाले गए मतों की संख्या, डाले गए कुल मतों की संख्या आदि जैसे आँकड़े रहते हैं।
ईवीएम के प्रयोग द्वारा मतदान की प्रक्रिया
2. ईवीएम (खाका नीचे दर्शाया गया है) के प्रयोग में मतदान का क्रम यथासंभव परंपरागत मतपेटी द्वारा मतदान के समान रखा गया है।
3. ईवीएम से मतदान प्रक्रिया आरंभ करने के पहले मतदान अधिकारी सभी उम्मीदवारों/दल के मतदान प्रतिनिधि को बुलाकर निम्नलिखित चीजों को दिखाता/ती है:
क. कि कंट्रोल यूनिट की मेमोरी के भीतर एक भी मत संग्रहित नहीं है।
ख. कुछ डमी उम्मीदवारों के लिए कुछ बार बैलट यूनिट के स्विचों को अंगुली से दबाकर विभिन्न उम्मीदवारों के लिए अनायास मतदान करता/ती है।
ग. इसके बाद संचालन बंद कर दिया जाता है।
घ. कंट्रोल यूनिट पर लगे ”रिजल्ट“ बटन को दबाकर नतीजे दिखा देता/ती है।
ङ. उम्मीदवारों/दलों के प्रतिनिधियों प्रदर्शन के दौरान दबाए गए बटनों के अनुसार प्रत्येक डमी उम्मीदवारों के लिए रेकर्ड किए गए मतों की संख्या सुना (और दिखा) देता/ती है।
च. उम्मीदवारों/दलों के प्रतिनिधि जाँच और पुष्टि करते हैं कि इस प्रदर्शन के परिणाम स्वरूप दिखाई गई मतों की संख्या उनकी उपस्थिति में संबंधित उम्मीदवारों के लिए डाले गए मतों के बराबर है।
छ. इसके बाद मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर ”क्लीयर“ दबाता/ती है जिससे पहले स्टोर किए गए परिणाम मिट जाते हैं।
ज. ये मिटाए गए परिणामों (यानी मेमोरी में कुछ भी लोड/स्टोर नहीं है) को एक बार पुनः ”रिजल्ट“ बटन दबाकर दलों के प्रतिनिधियों को दिखा दिया जाता है जो एक बार पुनः प्रत्येक उम्मीदवार के लिए ”0” परिणाम दर्शाता है। उम्मीदवारों/दलों के प्रतिनिधियों द्वारा इसकी दोबारा जाँच भी की जाती है।
झ. उम्मीदवारों/दलों के प्रतिनिधिगण उपर्युक्त प्रदर्शन के विषय में एक प्रपत्र पर हस्ताक्षर करते हैं कि यह ”सही“ है।
´. उपर्युक्त प्रदर्शन के बाद उम्मीदवारों/दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में भीतरी और बाहरी लाॅक्स को बंद (लाॅक्ड), सील्ड (ये सारे काम मतदान अधिकारी द्वारा किया जाता है) कर दिया जाता है।
ट. अब ईवीएम (यानी परस्पर संयुक्त कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट) मतदान के लिए तैयार हैं।
वास्तविक मतदान की प्रक्रिया/पद्धति
4. एक बार मतदाता की वैधता मतदान अधिकार द्वारा प्रदर्शित और उम्मीदवारों/दलों के प्रतिनिधियों द्वारा जाँचे एवं सुनिश्चित कर दिए जाने (और मतदाता द्वारा मतदाता सूची की पीठ पर हस्ताक्षर कर देने) के बाद, वास्तविक मतदान के संचालन हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:-
क. मतदान अधिकारी बैलट यूनिट को चालू (इनैबल) करता/ती है।
ख. मतदाता को निर्धारित जगह पर, जहाँ बैलट यूनिट रखी है, जाने के लिए कहा जाता है।
ग. मतदाता बैलट यूनिट पर प्रदर्शित उम्मीदवारों/दलों के नाम छाँटता/ती है।
घ. मतदाता बैलट यूनिट पर चयनित उम्मीदवार के नाम/चुनाव चिन्ह के बगल में नीले बटल को दबाकर अपना मतदान करता/ती है।
ङ. बैलट यूनिट पर चयनित उम्मीदवार के नाम/चुनाव चिन्ह के आगे एलईडी बत्ती जल जाती है और पीं (बीप) की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है जिससे सिस्टम में मत के पंजीयन की पुष्टि हो जाती है।
च. अगर मतदाता उसी उम्मीदवार के नाम/चुनाव चिन्ह के आगे वाले या किसी दूसरे नाम/चुनाव चिन्ह के आगे वाले किसी दूसरे नीले बटल को दोबारा दबाता/ती है तो वह मान्य नहीं होगा (और कोई एलईडी रोशनी या बीप की आवाज नहीं होती है) और इस तरह पहले रेकर्ड किए गए उपर्युक्त उप-अनुच्छेद (ङ) के अलावा कुछ भी ज्यादा रेकर्ड नहीं होता है। इसलिए, एक ही मतदाता से दोहरा/विविध मतदान रेकर्ड नहीं हो सकता।
छ. अगले और बाद के मतदाताओं के लिए (क) से (ङ) की प्रक्रिया दोहराई जाती है।
5. मतदान के अंत में मतदान अधिकार द्वारा (उम्मीदवारों/दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष) कंट्रोल यूनिट पर ”क्लोज“ बटन दबाकर प्रक्रिया पूरी की जाती है।
6. कंट्रोल यूनिट के सील्ड लाॅक्स की उम्मीदवारों/दलों के प्रतिनिधियों द्वारा जाँच की जाती है।
7. कंट्रोल यूनिट को अलग निधारित बाॅक्स में रखा जाता है और उस बाॅक्स को उम्मीदवारों/दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष फिर से लाॅक और सील किया जाता है तथा सुरक्षित अभिरक्षा के लिए सुरक्षित भंडारण क्षेत्र में रखने के लिए सुरक्षा कर्मियों (सशस्त्र रक्षक दल) द्वारा आगे ले जाने के लिए सुरक्षित रख दिया जाता है। इस भंडारण क्षेत्र को फिर सरकार द्वारा प्राधिकृत सुरक्षा कर्मियों के अधीन सुरक्षित रखा जाता है।
लेखक के विषय में
कर्नल एच.एस.शंकर, वीएसएम (सेवानिवृत्त), जो अभी अल्फा डिजाइन टेक्नोलाॅजीज, बैंगलोर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक हैं, मार्च 2003 तक बीईएल के निदेशक (अनुसंधान एवं विकास) थे तथा 1990 में 1.5 लाख ईवीएम का निर्माण एवं आपूर्ति करने वाली बीईएल के विनिर्माण विभाग के प्रमुख थे। उस समय भी ईवीएम को लेकर राजनेताओं द्वारा अनेक आलोचनायें की गई थी – उनमें से अनेक इस बदलाव के पक्ष में नहीं थे। कर्नल शंकर को स्पष्टीकरण देने और अपने सहकर्मियों के साथ इसकी स्वीकृति के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था।
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