उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य की उपासना का पावन छठ महापर्व चौथे दिन श्रद्धा के पूर्ण हुआ। पश्चिमी यमुना नहर के दोनों किनारो पर श्रद्धाओं ने पूजा अर्चना की।
शुक्रवार सुबह महिलाओं ने यमुना नहर के पानी में घुटनों तक खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्य देकर सुख समृद्धि की कामना की।
चार दिन तक चलने वाले इस पर्व के दौरान प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। पश्चिमी यमुना नहर के किनारो पर श्रद्धा का जल सैलाब उमड़ा। घाटों के दोनों तरफ श्रद्धालु महिलाओं ने भगवान सूर्य का स्मरण कर उदय सूर्य को अर्घ्य दिया।
मान्यता है कि डूबते और उठने सूरज का पूजन करने से मनोकामना पूरी होती। पश्चिमी यमुनानगर के बॉडी माजरा पुल के निकट, चिट्ठा मंदिर के पास, हमीदा, बुढ़िया के पश्चिमी यमुना नहर के निकट छठ पर्व के लिए कई दिनों से तैयारी चल रही थी।
यहां पर मंगल गीतों की ध्वनि से वातावरण भक्ति में हो गया। पर्व के लिए प्रशासन की और से सुरक्षा के सभी इंतजाम किए गए।
हिंदू धर्म में विशेष रूप से बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पूजा का विशेष महत्व है। समय के साथ-साथ उत्तर भारत में भी छठ पूजा का त्योहार बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाने लगा है। यह त्यौहार महिला अपने पति को बच्चों की लंबाई आयु की कामना के लिए मनाती है। छठ पर्व पर पहले दिन नहाए खाए, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन डूबते सूर्य की पूजा के साथ छठी माता की पूजा की जाती है और अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा की संपूर्णता होती है। इस त्यौहार पर व्रत रखने वाली महिलाओं को कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है।