स्वतंत्रता बाधित करने को हो रहे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले।

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पत्रकारों ने धरना-प्रदर्शन कर दर्ज कराया विरोध , दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।

हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न के मामले लगातार चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। हाल ही में नगर पंचायत सरीला में दो पत्रकारो के साथ दुर्व्यवहार और बंधक बनाए जाने की घटना ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर नए सवाल खड़े किए हैं। जानकारी के अनुसार, नगर पंचायत में हो रही गड़बड़ियों को उजागर करने वाले कुछ पत्रकारों को नगर पंचायत अध्यक्ष और उसके सहयोगियों द्वारा बंधक बनाकर अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा। इस घटना से जिले के पत्रकारों में रोष है और उन्होंने इसके विरोध में एकजुट होकर आवाज उठाई है।

गौर तलब है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माने जाने वाले पत्रकारों का काम होता है कि वे समाज में हो रहे गलत कार्यों को सामने लाएं और जनता को सही जानकारी प्रदान करें। परंतु हमीरपुर जैसे जिले में यह कार्य चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। पत्रकारों पर अक्सर दबाव बनाया जाता है कि वे स्थानीय प्रशासन, राजनेताओं और अधिकारियों की गड़बड़ियों पर चुप रहें। जब वे अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सच्चाई उजागर करते हैं, तो उन्हें धमकियां दी जाती हैं, उनके साथ मारपीट की जाती है या उन्हें बंधक बनाया जाता है, जैसा कि हालिया घटना में हुआ। पत्रकारों का कहना है कि हमीरपुर में यह कोई पहली घटना नहीं है जब पत्रकारों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा हो। पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, धमकियों और उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि देखी गई है। चाहे वह भ्रष्टाचार के मामले हो अन्य गैरकानूनी गतिविधियां, जब भी पत्रकार इन मामलों की जांच करने और सच्चाई सामने लाने का प्रयास करते हैं, उन्हें किसी न किसी तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। पत्रकारों का यह भी कहना है कि पत्रकार उत्पीड़न के मामलों में अक्सर यह देखा गया है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी निष्क्रियता दिखाते हैं। ताजा मामले में भी नगर पंचायत अध्यक्ष सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बावजूद सभी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

यह प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है और पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है। जब आरोपियों पर समय पर कार्रवाई नहीं होती है, तो इससे अपराधियों का हौसला बढ़ता है और वे पत्रकारों को निशाना बनाने से नहीं हिचकिचाते। इस घटना के बाद सोमवार को हमीरपुर के पत्रकारों ने प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। उनका कहना है कि यदि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया और उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। पत्रकारों ने मांग की है कि उनकी सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं ताकि वे बिना किसी डर के अपना काम कर सकें। कुल मिलाकर हमीरपुर जिले में पत्रकारों का उत्पीड़न एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि सरकार और प्रशासन इस दिशा में कठोर कदम उठाए और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। लोकतंत्र तभी मजबूत हो सकता है जब पत्रकार स्वतंत्रता से कार्य कर सकें और जनता को सच्चाई से अवगत करा सकें। यदि इस दिशा में उचित कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह न केवल पत्रकारों की स्वतंत्रता को बाधित करेगा बल्कि समाज के विकास और सच्चाई तक पहुंचने में भी बाधा बनेगा।

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