बांग्लादेश की पद्मा नदी में फिलहाल हिलसा (इलिश) मछली पकड़ने पर सरकारी प्रतिबंध है। 13 अक्टूबर को लगाए गए इस प्रतिबंध की अवधि तीन नवंबर तक प्रभावी है। यह सरकारी प्रतिबंध राजबाड़ी में पद्मा नदी के 42 किलोमीटर के क्षेत्र में लगाया गया है। मछुआरे इसे नहीं मान रहे। वह खुलेआम इलिश को पकड़कर बाजार में बेच रहे हैं।
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र ढाका ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में इस पर विस्तार से चर्चा की है। अखबार का कहना है कि इलिशा बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है। साथ ही इससे इलिश की प्रजनन प्रक्रिया खतरे में पड़ गई है। इस प्रतिबंध का मकसद इलिश को प्रजनन काल में सुरक्षित रखना है। मगर सरकार के प्रयास पूरे होते नहीं दिख रहे।
सदर उपजिला में उराकांडा और बोरोट एंटारमोर जैसे क्षेत्रों में कानून की अवहेलना करते हुए पद्मा नदी से इलिशा पकड़ी जा रही है। एंटारमोर में नदी पर मछली पकड़ने वाली कई नावें देखी गईं। इनमें तीन से पांच मछुआरों की टीम होती है। यह टीम एक फेरी में 10 से 30 किलोग्राम तक मछली पकड़ती है। नदी तट पर इलिशा को खरीदने के लिए पुरुषों और महिलाओं की भीड़ लगी रहती है। मछुआरों ने खुलासा किया कि लोग 200 से 400 ग्राम वजन वाली इलिश मछली पसंद करते हैं। वह इसे 350 से 400 टका प्रति किलोग्राम की दर से बेचते हैं। के बीच बेचा जा रहा था। हालांकि 700 से 800 ग्राम वजन वाली बड़ी मछलियां 800 से 900 टका के बीच बिक जाती है।
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, नदी तट पर निगरानी के लिए गठित टास्क फोर्स की मौजूदगी के बावजूद यह अवैध गतिविधि जारी है। मछुआरे भी टास्क फोर्स पर नजर रखते हैं। टास्क फोर्स की टीमें जब क्षेत्र से चली जाती हैं, तभी वह मछली पकड़ने के लिए घरों से बाहर निकलते हैं। इस अवैध गतिविधि पर रोक न लग पाने की बड़ी वजह मत्स्य पालन विभाग के पास कर्मचारियों और वित्तीय संसाधनों की कमी है। सदर उप जिला के मत्स्य अधिकारी मुस्तफा अल राजिब यह स्वीकार भी करते हैं। वह कहते हैं कि टीम को अभियान चलाने के लिए मजिस्ट्रेट पर निर्भर रहना पड़ता है। अगर यह अधिकारी मत्स्य अधिकारियों को मिल जाएं तो अवैध गतिविधि पर अंकुश लगाने में आसानी होगी। दौलतदिया नदी पुलिस चौकी प्रभारी इमरान महमूद तुहिन का कहना है कि पुलिस मछली पालन विभाग की हर समय मदद करती है।
उल्लेखनीय है कि हिलसा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मछली सिर्फ बंगाल कि खड़ी में ही पाई जाती है। वह भी सिर्फ बरसात के मौसम में। खासकर यह अंडा देने के लिए ही नदियों में आती है। इसे मछलियों की रानी भी कहा जाता है। यह मछली बंगाल ,असम और त्रिपुरा में काफी लोकप्रिय है।