राजधानी के प्राचीन महामाया मंदिर में अर्धरात्रि में परंपरानुसार गर्भगृह में मातेश्वरी के सामने शस्त्र पूजा की गई ।इसके बाद राज ज्योति सहित समस्त मनोकामना ज्योति का विसर्जन पूजा कर मंदिर परिसर स्थित प्राचीन बावली में ही विसर्जित किया गया।
महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ला ने जानकारी दी कि शस्त्र पूजा के तहत जिसमें मातेश्वरी की आठों हाथों में धारण किये जाने वाली सभी शस्त्रों (धनुष बाण, तलवार, चक्र, गदा, परिध , शूल, भुशूंडी) की विधि पूर्वक पूजन कर कुष्माण्ड बलि की पूजा की गई । शस्त्र पूजा व बलि पूजा के बाद राजज्योति की विसर्जन पूजा कर मंदिर परिसर स्थित प्राचीन बावली में ही विसर्जित किया गया । ज्योति विसर्जन के बाद मातेश्वरी की ‘’वीर मुद्रा’’ में भव्य शस्त्र श्रृंगार किया गया है । पूरे आठों हाथों में शस्त्र धारण के साथ ही मातेश्वरी का आर्कषक श्रृंगार किया गया है। यह शस्त्र सिंगार पूरे वर्ष भर में मात्र 2 बार ही , नवरात्रि पर्व के ज्योति विसर्जन वाली रात को ही किया जाता है।