सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के मामले में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल नई याचिका पर उप्र सरकार और संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए इस मामले को मुख्य याचिकाओं के साथ टैग कर दिया। मुख्य याचिकाओं पर 15 अक्टूबर को सुनवाई होनी है।
दरअसल, सामान्य वर्ग के इन अभ्यर्थियों ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में बनाई गई मेरिट लिस्ट को रद्द कर तीन महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट 9 सितंबर को हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उन्हें हाई कोर्ट के फैसले के अध्ययन के लिए वक्त चाहिए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में जून, 2020 और जनवरी, 2022 की सेलेक्शन लिस्ट को रद्द करते हुए उप्र सरकार काे आदेश दिया था कि वो 2019 में हुई सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर 69 हजार शिक्षकों के लिए नई सेलेक्शन लिस्ट तीन महीने में जारी करे।
यह याचिका अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने दायर की है। अपने आदेश में हाई कोर्ट ने ये भी कहा था कि अगर कोई आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट जनरल कैटेगरी के बराबर मेरिट हासिल कर लेता है तो उसका सेलेक्शन जनरल कैटगरी में ही माना चाहिए। हाई कोर्ट के इस आदेश के चलते उप्र में बड़ी संख्या में नौकरी कर रहे शिक्षकों पर नौकरी खोने का खतरा मंडराने लगा था।