दुर्गापुरा स्थित प्राचीन दुर्गा माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि महोत्सव अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तीन अक्टूबर से नवमी बारह अक्टूबर तक मनाया जाएगा। तीन अक्टूबर को अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को प्रातः सात से सवा सवा बजे तक महंत महेंद्र भट्टाचार्य के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ही अखण्ड ज्योति प्रज्वलित कर नवरात्रा का मंगल घट स्थापना ब्रह्म मुहूर्त में किया जाएगा। जिसके पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा। प्रथम नवरात्रि को शैल पुत्री के रूप में माता की पूजा की जाएगी। इसी तरह नाै दिनों तक ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डेति, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री नवदुर्गा के रूप में पूजा की जाएगी। नौ दिनों तक सप्तशती के पाठ होगा और माता के दर्शन लाभ होंगे ।
नवरात्रि में नौ दिनों तक माता का विशेष श्रंगार ऋतु पुष्पों एवं आरती एवं गोटा चुनरी की पोशाक धारण कराई जाएगी। सप्तमी 10 अक्टूबर को माता की विशेष झांकी होगी एवं सायं काल में दुर्गा माता मन्दिर से विशाल ध्वजा यात्रा के बाद ध्वजा चढ़ाई जाएगी और सप्तमी का मेला भरेगा तथा माता को भजन भेट किए जाएगे एवं अष्ठमी 11 अक्टूबर को रात्री साढ़े 7 बजे पूर्ण आहूति हवन किया जाएगा। 12 अक्टूबर को नवमी की पूजा होगी एवं दशमी 13 अक्टूबर को सुबह घट उत्थापन होगा। जिसके तत्पश्चात कन्या भोजन करवाया जाएगा। नवरात्रि में माता रानी के दर्शन के लिए पट सुबह 6 से 12 और शाम 5 से 9 बजे तक खुले रहेंगे।