सुप्रीम कोर्ट में आरजी कर मामले की सुनवाई के कुछ ही घंटों बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की पांच सदस्यीय टीम ने मंगलवार रात पीड़िता के सोदपुर स्थित घर पर पहुंचकर परिवार से एक घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की।
मिली जानकारी के अनुसार, जब यह मामला सीबीआई के हाथों में आया, तो पीड़िता के माता-पिता ने केंद्रीय जांच एजेंसी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र के आधार पर सीबीआई अधिकारियों ने परिवार से बातचीत की। पूछताछ के दौरान, सीबीआई ने पीड़िता के माता-पिता और अन्य परिजनों से घटना के समय की परिस्थितियों, अपराध स्थल पर उनके द्वारा देखे गए तथ्यों और घटनाओं के बारे में जानकारी ली। पीड़िता के माता-पिता ने पहले भी कई बार सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया था, जिसके चलते जांच एजेंसी इस पहलू पर भी ध्यान दे रही है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद पीड़िता के माता-पिता ने संतोष व्यक्त किया और कहा कि मामले से जुड़े हर व्यक्ति, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष, को जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि जो लोग सबूतों को मिटाने में शामिल हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। उनका कहना था, “हमने शुरू से ही सबूतों को मिटाने की बात कही थी और अब यह सच सामने आ रहा है। सबूतों के अभाव में जांच एजेंसियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सीबीआई ने इस सिलसिले में गिरफ्तारियां की हैं। हमें उम्मीद है कि धीरे-धीरे सारा सच सामने आएगा।”
सीबीआई सूत्रों के अनुसार, अगर जरूरत पड़ी, तो आने वाले दिनों में परिवार के अन्य सदस्यों से भी दोबारा पूछताछ की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई की जांच प्रक्रिया पर संतोष जताते हुए कहा कि कुछ जांच निष्कर्ष चिंताजनक हैं, लेकिन जांच के हित में वे सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।