जिले के रैवासा धाम के पीठाधीश्वर के महंत राघवाचार्य का शुक्रवार सुबह निधन हो गया है। आज रैवासा में ही उनका अंतिम संस्कार होगा। पीठाधीश्वर को आज सुबह बाथरूम में दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें तुरंत ही सीकर हॉस्पिटल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
महंत राघवाचार्य (72) सीकर में भगवान राम के सबसे पुराने मंदिर रैवासा के जानकीनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर थे। यह मंदिर 1570 में बना था। वैष्णव संप्रदाय में 37 में से 12 आचार्य पीठ इसी गद्दी से निकली है। रैवासा पीठाधीश्वर को राम मंदिर का निमंत्रण भी मिला था। तब उन्होंने भक्तों को बताया था कि वे 1984 से ऐसे आंदोलन से जुड़े है।
उनके निधन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा कि रैवासा पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज के ब्रह्मलीन होने का समाचार सुनकर मन बहुत व्यथित है। महाराज का देवलोकगमन सनातन व आध्यात्मिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। आपके ओजस्वी विचार और आदर्श जीवन की प्रेरणा सदैव मानवता के लिए मंगलकारी सिद्ध होंगे। प्रभु श्रीराम जी से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान व शोकाकुल अनुयायियों को यह पीड़ा सहन करने का संबल प्रदान करें। ॐ शांति!
राघवाचार्य महाराज ने अपना जीवन धार्मिक और सामाजिक सेवा में समर्पित किया। उनकी शिक्षा और मार्गदर्शन ने लाखों लोगों के जीवन को प्रेरित किया है। उनके निधन से केवल अनुयायियों ही नहीं, बल्कि कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों में भी शोक की लहर है। उनके सम्मान में रैवासा में बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं।