महानगर कोलकाता के राजकीय आर.जी. कर अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद निर्मम हत्या के मामले में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने प्रिंसिपल की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने प्रिंसिपल को तत्काल सस्पेंड कर जांच की मांग की है। रविवार रात उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर एक पोस्ट किया। इसमें शुभेंदु ने लिखा, “आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के प्रशासनिक कार्यों और हाल ही में हुए एक दर्दनाक हादसे के बाद उनकी भूमिका पर गहन सवाल उठ रहे हैं। उनके तुरंत निलंबन और पद से हटाया जाना चाहिए।”
अधिकारी ने लिखा, “डॉ. घोष का कार्यकाल कई विचित्र घटनाओं से घिरा रहा है। उन्हें पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो बार प्रिंसिपल पद से हटाया गया था, लेकिन वे रहस्यमय तरीके से अपनी कुर्सी पर बने रहे। एक मामले में उनके हटाने का सरकारी आदेश 48 घंटों के भीतर रद्द कर दिया गया था। एक अन्य मामले में, जब उन्हें मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज स्थानांतरित किया गया, तो वे महज एक महीने में फिर से आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज लौट आए। इसे कुछ लोग उनके उच्च प्रभाव का परिणाम मानते हैं।
हाल ही में डॉ. घोष के खिलाफ आक्रोश उनके अस्पताल परिसर में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफलता को लेकर है।
आलोचकों का कहना है कि एक त्रासदी—जिसमें ड्यूटी पर तैनात एक पोस्ट-ग्रेजुएट प्रशिक्षु (पीजीटी) डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना शामिल है—के बाद उनके भ्रामक बयान और लापरवाह रवैया पीड़िता के प्रति उनकी असंवेदनशीलता को उजागर करता है।
अधिकारी ने आगे लिखा कि इसके अलावा, चल रही जांच की निष्पक्षता को लेकर भी गंभीर चिंताएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि डॉ. घोष के करीबी लोग इस घटना में शामिल हो सकते हैं, और पुलिस जल्दी-जल्दी मामले को सुलझाने में लगी है ताकि असली दोषी बच निकलें। उनके शक्तिशाली संबंधों के कारण यह संदेह और गहरा हो गया है कि जांच निष्पक्ष रूप से नहीं हो रही है।