उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ की महिला महाप्रबंधक और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ उन्नाव की अदालत में परिवाद दाखिल किया गया है। इससे पहले भी उनके खिलाफ एक बार उन्नाव कोतवाली में ही उसी व्यक्ति ने एफआईआर करवायी थी लेकिन पूर्व सचिव की मध्यस्थता के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। इस बार उस व्यक्ति ने महिला महाप्रबन्धक के खिलाफ 323, 452, 427, 504, 506 की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत करने के लिए परिवाद अदालत में दाखिल किया है।
उल्लेखनीय है कि उन्नाव में रहने वाले अनुराग मिश्रा ने विपक्षी कु० रीता डे व दो अन्य व्यक्ति अज्ञात को बतौर अभियुक्त तलब कर दण्डित किये जाने के आशय से परिवाद प्रस्तुत किया था जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उनके खिलाफ मामला सही पाते हुए पुलिस को एफआईआर दर्ज करनेके निर्देश जारी किए है। महिला महाप्रबंधक को 30 जुलाई को अपना पक्ष रखने के लिए आदेश दिए गए हैं।
एफआईआर में दर्शाया है कि 03 दिसम्बर 2023 को शाम करीब 07 बजे की प्रार्थी अपने घर में था तभी विपक्षी सं01 अपने दो अज्ञात गुण्डों के साथ आयी और जबरन घर में अन्दर तक घुस आयी और माँ बहन की गन्दी गन्दी गालियों देते हुए कहा कि तुम्हारा जीना दूभर कर दूँगी मेरी शिकायत करते हो क्या बिगाड़ पाये। प्रार्थी ने ऐतराज किया आपको ऐसा करना शोभा नहीं देता तो उन्होंने अपने साथ लाये गुण्डों को ललकारा की सबक सीखा दो, फिर तीनों लोग प्रार्थी को लात घूसों से मारने लगे। घर में रखे सामान की तोड़ फोड़ की। प्रार्थी के गले में पड़ी सोने की चैन छीन ली।
प्रार्थी की चीख पुकार पर मोहल्ले के लोग आने लगे तब वह तीनों यह धमकी देते हुए कि अब कही कोई शिकायत की तो जान से हाथ धोना पड़ेगा। परिवादी ने अपने मामले के समर्थन में स्वयं को अर्न्तगत धारा 200 द.प्र.स तथा अपने कथानक के समर्थन धारा 202 दं.प्र.स के अन्तर्गत एजाज हसन व आशीष शुक्ला को परीक्षित कराया है। प्रलेखों के रूप में पुलिस अधीक्षक उन्नाव को प्रेषित शिकायती प्रार्थनापत्र तथा रजिस्ट्री रसीद की प्रति प्रस्तुत किया गया है। न्यायालय को सतही तथ्य एवं सही आधारों पर तलवी आदेश नहीं पारित करना चाहिए, ऐसा नहीं है कि परिवादी स्व एवं अपने दो साथियों की प्रस्तुत करके किसी भी आधार पर स्वीकार अथवा अस्वीकार होने वाले तथ्यों की प्रस्तुत कर तलवी आदेश पारित कर लें। यदि परिवाद कथन एवं प्रस्तुत साथियों से तलवी आदेश प्रस्तुत करने का सम्यक आधार न्यायालय की विधिक मस्तिष्क को उपयोग करने के उपराना नहीं प्राप्त होता है तो ऐसे परिवाद को धारा 203 8.स. के अन्तर्गत निरस्त कर दिया जायेगा। अभियुक्त कु० रीता डे को 323,452,427,504,506 भादसं. में विचारण के लिए आहूत किया गया है तथा शेष धारा के लिए निरस्त कर दिया गया है।