पूर्व मेदिनीपुर के जूनपुट में डीआरडीओ का प्रस्तावित मिसाइल लॉन्च सेंटर का काम स्थानीय विरोध के कारण बंद हो गया है।
यह काम विगत दस जुलाई से बंद है। इससे पहले भी इस क्षेत्र में हरिपुर में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा केंद्र के विरोध में काम नहीं हो पाया था। इस इलाके में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं, जो लगातार डीआरडीओ के प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे थे और बार-बार आवेदन के बावजूद ममता बनर्जी की सरकार ने कोई मदद नहीं की।
तृणमूल कांग्रेस के मजदूर संगठन आईएनटीटीयूसी के राज्य सचिव अमीन सोहेल के नेतृत्व में मछुआरों ने ठेकेदार कंपनी को काम रोकने का निर्देश दिया। इसके बाद ठेकेदार के लोग क्षेत्र छोड़कर चले गए। तब से वहां निजी सुरक्षा कर्मी निगरानी कर रहे हैं।
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) की योजना
डीआरडीओ ने 17-19 जुलाई और 24-26 जुलाई के दौरान मिसाइल ट्रायल के लिए मछुआरों को समुद्र में जाने से मना किया था। इसी के चलते मछुआरों ने विरोध किया। सिर्फ चार दिनों तक समुद्र में मछली पकड़ने से मना करने की वजह से राष्ट्रहित के लिए होने वाले काम को रोक दिया गया है।
स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया
मछुआरा संगठनों और पर्यावरण प्रेमियों ने भी इस केंद्र के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की है। तृणमूल नेता अमीन ने कहा कि यह एक गैर-राजनीतिक आंदोलन है। वहीं, भाजपा सांसद सौमेंदु अधिकारी ने इस मामले की जांच की मांग की है और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताया है।
जिला प्रशासन ने रक्षा मंत्रालय को मछुआरों को प्रत्येक परीक्षण दिन के लिए 11.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रस्ताव भेजा है। बुधवार को मिसाइल ट्रायल के कारण मछुआरों को समुद्र में जाने से मना किया गया था लेकिन मछुआरों ने निर्देश का पालन नहीं किया।