अलवर में जानकी मैया को ब्याहने बारात लेकर पहुंचे भगवान जगन्नाथ, शहरवासी बने बराती

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सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर से सोमवार शाम करीब छह बजे भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा (बारात ) रूपबास के लिए रवाना हुई, जो देर रात रूपबास स्थित मंदिर पहुंची। भगवान जगन्नाथ की बारात में शहरवासी बाराती थे। नाचते गाते श्रद्धालू रथ के आगे चल रहे थे। भगवान जगन्नाथ के जयकारों से आसमान गूंज उठा। वहीं बारात को देखने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा। जिन रास्तों से बारात निकली भक्तों ने जगन्नाथ जी का स्वागत सत्कार किया। रथ यात्रा से पूर्व भगवान को शाही मेहमान के रूप में गॉड ऑफ ऑनर का सम्मान दिया गया। इस दौरान अलवर जिला कलेक्टर आशीष गुप्ता, पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा सहित तमाम अधिकारी और समिति के अलावा भक्तजन मौजूद रहे।

मंदिर के महंत पंडित धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ जी इंद्र विमान में सवार होकर शाही लावजमे के साथ रूपबास स्थित मंदिर पहुंच गए हैं। भगवान जगन्नाथ की बारात में बैंड बाजे के अलावा ऊंट, निशांन का झंडा, घोड़े, शहनाई, झांकियां, चोकूटा रथ, रघुवीर ताशा पार्टी, हरियाणा के बम रसिया, अखाड़ा, राजर्षि अभय समाज की सीताराम जी का रथ, पुलिस बैंड, घड़ियाल पार्टी आदि शामिल हुए। रथ यात्रा के मार्ग में आने वाले करीब 50 से ज्यादा मंदिरों में आरती की गई। इसी के साथ ही रुपबास में मेला प्रारंभ हो गया हैं। भगवान जगन्नाथ के रूपबास रवाना होने के साथ ही मंदिर में बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शन होंगे।

कल होगा वरमाला महोत्सव

भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा सुभाष चौक मंदिर से रूपवास पहुंच गई। इससे एक दिन पूर्व सीताराम जी की सवारी निकली थी। आज मेला रहेगा। 17 जुलाई की रात वरमाला महोत्सव होगा। जिसमें भगवान जगन्नाथ जी और जानकी मैया की शादी होगी। 19 जुलाई को भगवान जगन्नाथ जानकी मैया को ब्याह कर वापस सुभाष चौक स्थित मंदिर लौटेंगे। 21 जुलाई को मंदिर में ब्रह्म भोज का आयोजन होगा।

जगन्नाथ जी के मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रूपवास मेला स्थल पर कई प्रकार के झूले लगे हुए हैं। यह झूले दूर दराज से आए लोगों द्वारा हर साल लगाए जाते हैं। वहीं कई प्रकार के दुकानें भी लगी हैं। जगन्नाथ मेले से हजारों लोगों का रोजगार चलता हैं।

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