भाग्य विधाता

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एस. एन. वर्मा

प्रजातन्त्र में मतदाता देश का भाग्य विधाता होता है। इसीलिये चुनाव की निष्पक्षता और शुद्धता पर जोर दिया जाता है। कहने के एक मतदाता के पास एक मत होता है पर इसी एक एक मत के आधार पर बहुमत बनता है। कभी सिर्फ एक मत ही निर्णायक बन जाता है। मुल्क को कैसी सरकार चाहिये, किस तरह की अर्थव्यवस्था चाहिये किस नेता को आगे बढ़ाना है किसे गिराना है सब मतदाता के अधीन होता है। कहते है एक अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता पर कभी-कभी एक मत भी भाड़ फोड़ देता है।
20 तारीख का मतदान लखनऊ सहित 49 सीटों पर होगा। इसके अनारगत आठ राज्यों और संघ शासित प्रदेशों मेें मतदान होगा। यूपी में 14 सीटे है, 144 प्रत्याशी है और सौ करोड़ मतदाता है। इसमें 144 करोड़ पुरूष और 127 करोड़ महिलायें है। 28688 पोलिंग बूथ है, 17128 मतदान केन्द्र है। 4232 पोलिग बूथ संवेदनशील चिन्हित किये गये है। 43 सेन्टीग्रेड की गर्मी मतदाता, मतदान कर्मचारी झेलेगे। मतदान करना भारत के हर नागरिक का अधिकार है इसका सम्मान होना चाहिये।
पांचवी चरण की वोटिंग के बाद दो चरणों के मतदान बचेगे। इसके बाद चार जून के नतीजों का इन्तजार बाकी बच जाता है। पहले तीन चरणों में मतदाताओं का प्रतिशत कम रहा लोगो का कयास है यह मार्केट में आई गिरावट से सम्बन्धित है। मार्केट में गिरावट नतीजों के अनिश्चितता को लेकर आई जिसका असर मतदान औसत पर आया। चौथे चरण में मतदान का औसत बढ़ा तो बजार की स्थिति सुधर गई। विगत में इस तरह की अटकल बाजी गलत साबित होती रही है। मतदाताओं में कमी की वजह सत्ता समर्थन में उत्साह की कभी बताई जा रही है। महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में एनडीए के सहयोगी दलों के वोट ट्रान्सफर करने की क्षमता पर सवाल उठाये जा रहे है। किस दल के समर्थको ने मतदान में कम हिस्सा लिया इसका सही जवाब किसी के पास नहीं है। कुछ राज्य जैसे महाराष्ट्र, बिहार में राजनीतिक घात प्रतिघात चरम पर है, यहां चुनावी परिदृश्य बहुत जटिल हो गये है। कोई निश्चित निष्कर्ष निकाल पाना कठिन है। दो राज्यों की बात छोड़ दे तो आम राय यह है क बाकी हिस्सों में कोई चुनावी लहर नहीं दिख रही है। इसलिये किसी पार्टी या नेता के प्रति अश्वस्त होना मुशकिल बन गया है। हालाकि भाजपा के लोगो को मोदी की करिश्मा पर गहन विश्वास है।
पांचवें चरण के चुनाव में पांच सीटे हाट मानी जा रही है लखनऊ सीट पर राजनाथ सिंह भाजपा, रविदास मेहरोत्रा सपा में मुख्य प्रतिस्पर्धा है। रायबरेली में राहुल गांधी, कांग्र्रेस, दिनेश प्रताप सिंह भाजपा के बीच मुख्य प्रतिस्पर्धा है। अमेठी में स्मृति इरानी भाजपा और किशोरी लाल शर्मा कांग्रेस के बीच युद्ध है। मोहन लालगंज में कौशल किशोर भाजपा, और सपा के आर.के.चौधरी के बीच टक्कर है। कैसरगंज में करन भूषण सिंह भाजपा और मंगल राम मिश्र सपा के बीच टक्कर है।
अभी जीत के अपने अपने अनुमान लगा रहे है। सारी तस्वीर 4 जून को स्पष्ट हो जायेगी। यह सच है कि हर चुनाव के पूर्वमान नतीजे विश्वसनीय नहीं होगे।

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