संभावित टीबी मरीजों की जांच दर बढ़ाएं, अधिकाधिक लोगों की कराएं जांच

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अवधनामा संवाददाता

जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की हुई समीक्षा

टीबी उन्मूलन के लिए निरंतर नये मरीजों को खोज कर इलाज की सुविधा से जोड़ने पर जोर

गोरखपुर । जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा के दौरान टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में खासतौर से चर्चा हुई । जिला विकास अधिकारी राज मणि वर्मा की अध्यक्षता में यह बैठक विकास भवन सभागार में शुक्रवार को देर शाम तक चली । इस दौरान परिवार नियोजन, मातृ शिशु स्वास्थ्य, नियमित टीकाकरण और आयुष्मान भारत योजना समेत विभिन्न कार्यक्रमों की विस्तार से समीक्षा की गयी । बैठक में आए ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों से कहा गया कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को मजबूती प्रदान करने के लिए संभावित टीबी मरीजों की जांच दर बढ़ाएं। इसके लिए लक्षण वाले अधिकाधिक मरीजों की जांच कराएं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि सभी चिकित्सा अधिकारियों से अपनी ओपीडी के कुल मरीजों के पांच से दस फीसदी लक्षण वाले संभावित टीबी मरीजों की जांच कराने को कहा गया है । उन्हें निर्देश दिया गया कि छाया ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण दिवस (छाया वीएचएसएनडी) के सत्रों पर आने वाले संभावित टीबी मरीजों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजने के लिए आशा कार्यकर्ता को प्रेरित करें। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम को बाल टीबी मरीजों को खोजने और इलाज से जोड़ने के लिए निरंतर प्रेरित करें। जिले में सी नाइंटिन की टीम जगह जगह पोर्टेबल एक्स रे मशीन से भी नये मरीज खोजने में जुटी हुई है। उस टीम का भी सभी को सहयोग करना है।

इससे पूर्व जिला क्षय अधिकारी डॉ गणेश यादव ने जिले में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की स्थिति पर प्रकाश डाला और बताया कि हेल्थ डैशबोर्ड रैंकिंग में संभावित टीबी मरीजों की जांच दर एक प्रमुख घटक भी है। जिले में जनवरी से अभी तक टीबी के नये 5717 मरीज खोजे गये हैं। इस समय 325 ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीज, जबकि 8978 ड्रग सेंसिटिव टीबी मरीज इलाज पर हैं । जो भी नये टीबी मरीज मिलते हैं उनके निकट संपर्कियों की भी टीबी स्क्रिनिंग व जांच अनिवार्य है। अगर निकट सम्पर्की में टीबी नहीं मिलती है तब भी छह माह तक बचाव की दवा खानी होती है ।

बैठक के दौरान डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ, यूएनडीपी और सीफार के प्रतिनिधिगण ने भी अपनी प्रस्तुतियों के जरिये फीडबैक दिया । इस मौके पर नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ वीपी पांडेय, एसीएमओ डॉ एके चौधरी, डॉ नंदलाल कुशवाहा, डिप्टी सीएमओ डॉ अश्विनी चौरसिया सीडीपीओ सौरभ कुमार त्रिपाठी, डीएमओ अंगद सिंह, डीडीएचईआईओ सुनीता पटेल, जेई एईस कंसल्टेंट सिद्धेश्वरी सिंह, डीडीएम पवन गुप्ता, मैटनरल हेल्थ कंसल्टेंट डॉ सूर्य प्रकाश, विजय कुमार श्रीवास्तव, क्वालिटी मैनेजर डॉ मुकुल, डॉ कमलेश, पीपीएम समन्वयक एएन मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग और आदिल फखर प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

ये अहम निर्देश भी दिये गये

 नियमित टीकाकरण के लाभार्थियों के लिए लाभार्थी भी ऑनलाइन स्लॉट बुक कर सकता है। इसके लिए पर्याप्त प्रचार प्रसार करें।
 लक्ष्य के सापेक्ष गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल हो। जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू में बीमार बच्चों को लाने के लिए प्रेरित करें।
 शत फीसदी संस्थागत प्रसव का आधार वेरिफिकेशन किया जाए और शत फीसदी बच्चों को वर्थ डोज टीका लगाया जाए।
 मातृ और शिशु मृत्यु के मामले रिपोर्ट हों ताकि समय से उनकी डेथ ऑडिट कराई जा सके।
 छाया वीएचएसएनडी पर समस्त उपकरणों और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें। गर्भवती और किशोरियों के हीमोग्लोबिन स्तर की जांच अनिवार्य तौर पर हो।
 नियमित टीकाकरण की ड्यू लिस्ट सावधानी के साथ बनाएं और अगर टीकाकरण से वंचित कोई बच्चा मिलता है तो प्राथमिकता के साथ उसे टीका लगवाएं।
 टीकाकरण के प्रति उदासीन परिवारों को प्रेरित करें और उन्हें टीके का महत्व बता कर टीका लगवाएं।
 उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली माताओं की पहचान करें और उन्हें उचित देखभाल व प्रबंधन प्रदान करें। अल्ट्रासाउंड की सेवा ई रुपी बाउचर के जरिये प्रदान करें।
 पुरुष नसबंदी समेत परिवार नियोजन के साधनों के प्रति परामर्श देकर लाभार्थी को मनपसंद साधन अपनाने के लिए प्रेरित करें।

घर बैठे टीकाकरण का स्लॉट बुक करें

बच्चों का नियमित टीकाकरण करवाने के अभिभावक कोविड वैक्सीनेशन की तर्ज पर घर बैठे स्लॉट बुक क सकेंगे। यह जानकारी डीएचएस की बैठक के दौरान यूएनडीपी संस्था के प्रतिनिधि पवन सिंह ने सभी अधिकारियों को दी। उन्होंने बैठक के प्रतिभागियों को जानकारी दी कि लाभार्थी खुद आभा आईडी भी जेनरेट कर सकते हैं और अपने बच्ची की भी आभा आईडी बना सकते हैं। यह सभी चीजों यूविन पोर्टल के जरिये संभव हो पायी हैं।

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