अवधनामा संवाददाता
भारत में बच्चों को अपने वयस्कों के समकक्ष स्वीकार्यता : पुष्पेन्द्र सिंह चौहान
बच्चों के अधिकारों को लेकर विधिक साक्षरता शिविर संपन्न
ललितपुर। जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चन्द्रोदय कुमार के निर्देशानुसार एडीजे/सचिव कुलदीप सिंह की अध्यक्षता में राजकीय संप्रेक्षण गृह, किशोर नेहरू नगर में बच्चों के अधिकारों को लेकर शिविर संपन्न हुआ। कार्यक्रम में एडीजे/सचिव कुलदीप सिंह तृतीय ने कहा कि प्रत्येक बच्चे को जीवन, उत्तर जीवन एवं विकास का जन्मजात अधिकार है। इसके अन्तर्गत बच्चों की सुरक्षा, उनके स्वास्थय एवं उनकी शिक्षा का अधिकार सम्मिलित है, जिनका उद्देश्य बच्चे के व्यक्तित्व, योग्यता व मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं का सम्पूर्ण विकास है तथा सामाजिक सुरक्षा से पूर्ण लाभ प्राप्त करने का अधिकार सम्मिलित है। भारत का संविधान भी बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के अनुसार भारत के बच्चों को कुछ अधिकार प्रदान करता है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की स्थापना मार्च 2007 में बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005, संसद के एक अधिनियम (दिसंबर 2005) के तहत की गई थी। ये अधिकार हैं, 6-14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिए निशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21 ए), 14 वर्ष की आयु तक किसी भी खतरनाक रोजगार से सुरक्षित रहने का अधिकार (अनुच्छेद 24), अपनी उम्र या ताकत के लिए अनुपयुक्त व्यवसायों में प्रवेश करने के लिए आर्थिक आवश्यकता के कारण दुव्र्यवहार और मजबूर होने से सुरक्षित रहने का अधिकार (अनुच्छेद 39 (ई)), स्वस्थ तरीके से और स्वतंत्रता और गरिमा की स्थितियों में विकास के लिए समान अवसरों और सुविधाओं का अधिकार और शोषण के खिलाफ और नैतिक और भौतिक परित्याग के खिलाफ बचपन और युवाओं की सुरक्षा की गारंटी (अनुच्छेद 39 (एफ)। पैनल अधिवक्ता पुष्पेन्द्र सिंह चौहान ने शिविर का संचालन करते हुए कहा कि भारत बच्चों को अपने वयस्क समकक्षों के बराबर मानता और स्वीकार करता है और उन्हें राष्ट्र की सुरक्षा और आश्रय के योग्य मानता है। मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के माध्यम से वयस्कों के साथ-साथ बच्चों को भी नागरिकता के बुनियादी/मौलिक अधिकार दिए गए हैं। इन अधिकारों में निम्नलिखित शामिल हैं,समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14),भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15),व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया (अनुच्छेद 21),तस्करी और बंधुआ मजदूरी में धकेले जाने से सुरक्षित रहने का अधिकार (अनुच्छेद 23), लोगों के कमजोर वर्गों को सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से बचाने का अधिकार (अनुच्छेद 46)। अधिवक्ता आकाश झा ने चाइल्ड लाइन 1090 की जानकारी दी और बताया कि यह योजना राज्यों को सीधे बाल संरक्षण तंत्र से जोड़ता है। इस दौरान प्रभारी निरीक्षक राजकीय संप्रेक्षण गृह दीनानाथ, किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य, शिक्षक, विकास कुशवाहा आदि उपस्थित रहे। दीनानाथ ने आभार व्यक्त किया।