पूर्व मंत्री ने अखिलेश से पूछा, धैर्य का इम्तिहान कब तक ?

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अवधनामा संवाददाता

पूर्व मंत्री के बदले सुर से बढ़ी सियासी हलचल

कुशीनगर। देवरिया लोकसभा सीट गठबंधन में कांग्रेस के पक्ष में चली जाने के बाद नाराज पूर्व मंत्री के बदले सुर ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। इस सीट पर सपा से दावेदारी कर रहे पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह ने नाराजगी प्रकट की है। उन्होंने सपा पर आरोप लगाते हुए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से पूछा कि आखिर उनके धैर्य का इम्तिहान कब तक? इसके अलावा शीर्ष नेतृत्व पर कई बार ऐसा करने का आरोप लगाया। पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह के तेवर से जिले का राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। सोशल मीडिया पर शेयर अपनी पोस्ट उन्होंने अपना दर्द बयां किया है। राजनीतिक गलियारे में इनके पार्टी बदलने की भी चर्चा है। हालांकि, उन्होंने अगला कदम उठाने से पहले किसानों की सहमति लेने की बात कही है।

32 वर्षों से सपा को सूबे में मजबूती और प्रदेश में किसानों के नेता कहे जाने वाले राधेश्याम सिंह देवरिया सीट से लोकसभा की तैयार कर रहे थे। संघर्षों के बदौलत किसानों के बीच इनकी अच्छी पैठ है।इनके बदले सुर बागी होने की ओर इशारा कर रहें है और अगर ऐसा होता है तो सपा को तगड़ा झटका लग सकता है। फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को टैग करते हुए पूर्व मंत्री राधेश्याम ने नाराजगी जाहिर की है। मंगलवार को प्रेसवार्ता में कहा कि 32 सालों से पार्टी की सेवा कर रहा हूं, कभी स्वार्थ के लिए दल नहीं बदला। मेरी ईमानदारी का यही फल मिला कि कई बार टिकट से वंचित किया गया। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष से त्याग, तपस्या व संघर्ष को भी महत्व देने की अपील की। उन्होंने आगे का निर्णय किसान भाइयों की सहमति के बाद लेने की बात कही है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले हुए टिकट बंटवारे से भी राधेश्याम सिंह नाराज दिखे थे जहां उन्होंने फेसबुक पोस्ट करते हुए खुद को सियासत का सिपाही नहीं संघर्ष का सिपाही बताया था।

देवरिया सीट के लिए कांग्रेस ने सपा पर बढ़ाया था दबाव

लोकसभा चुनाव से पहले सपा कांग्रेस गठबंधन में विशेषकर कांग्रेस की नजर देवरिया लोकसभा सीट पर थी। सपा-बसपा गठबंधन के तहत इस सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा का उम्मीदवार था। हालांकि, यहां से भाजपा के रमापति राम त्रिपाठी ने जीत दर्ज की थी। पूर्व में कांग्रेस ने इस सीट पर लंबे समय तक अपना कब्जा जमाए रखा था। हालांकि, 1984 के बाद से लगातार यह सीट भाजपा और सपा-बसपा के हिस्से में रही है। यहां से राज्यपाल राजस्थान कलराज मिश्र की बात हो या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भाजपा व वर्तमान सांसद रमापति राम त्रिपाठी की सबने यहां से दावा ठोका है।

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