साइबर अपराधों से बचने का उपाय जानकारी ही है : प्रो.सिंह

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अवधनामा संवाददाता

साइबर अपराधों से छात्र-छात्राओं को कराया अवगत

ललितपुर। भारत में साइबर अपराध समस्या एवं समाधान विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन जय बुंदेलखंड कॉलेज ऑफ लॉ पनारी में किया गया, जिसमें सागर विश्वविद्यालय के विधि संकाय अध्यक्ष प्रो.पी.पी.सिंह एवं जेजेटी विश्वविद्यालय झुंझुनू राजस्थान के प्रो. डी.के.सिंह मुख्य वक्ता के रूप में रहे आयोजित राज्य स्तरीय सेमिनार में जनपद के पुलिस अधीक्षक मो. मुस्ताक के द्वारा जिले की साइबर सेल के प्रभारी के रूप में इ.मुनेस भारती को टीम सहित महाविद्यालय भेजा गया, जिन्होंने विधि छात्रों को साइबर अपराध से जुड़े विभिन्न प्रावधानों से परिचित कराया। इस अवसर पर प्रो.पी.पी.सिंह ने कहा कि भारत में साइबर अपराध काफी बढ़ गया है तथा उत्तर प्रदेश में इसकी स्थिति अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी भयावह है। कहीं जानकारी के अभाव में तो कहीं धोखे में इसका शिकार हो रहे हैं। लोगों को जागरूक रहने के लिए इसके प्रावधानों से पारित होने की आवश्यकता है। बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक सागर गुप्ता ने कहा कि वित्तीय लेनदेन में डिजिटल लेनदेन जहां सुविधाजनक है वही थोड़ी सी अस्वधानी पर बड़ी दुर्घटना भी घर जाती है। उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में अपने मोबाइल का पासवर्ड एवं ओटीपी नंबर किसी भी व्यक्ति को ना बताएं। महाविद्यालय के प्राचार्य डा.दिनेश बाबू गौतम ने साइबर रोकथाम से संबंधित भारत सरकार द्वारा लाये गए आईटी एक्ट का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि इसमें तेरह अध्याय एवं 93 धाराएं हैं धारा 66 व धारा 67 के विभिन्न प्रावधान का उन्होंने विस्तार से उल्लेख किया क्यूआर कोड एवं डिजिटल हस्ताक्षर संबंध में भी उन्होंने जानकारी दी। जेजेटी विश्वविद्यालय झुंझुनू राजस्थान के प्रोफेसर डा.डी.के.सिंह ने कहा दूसरे के कंप्यूटर को अनाधिकृत रूप से छोडऩा डाटा चोरी कलना देश की सुरक्षा से संबंधित सामग्री को अनाधिकृत रूप से सार्वजनिक करना। दूसरों की निजी जानकारी को सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म तक पहुंचाना जैसे कई बिंदु है जो साइबर अपराध की श्रेणी में आते हैं, लेकिन लोग इससे अनभिज्ञ रहते हैं व अपराध कर बैठते हैं। अतएव समय रहते यह जानकारी जागरूक लोगों तक व उनके परिवार व ग्राम के अन्य जनों तक पहुंचना आवश्यक है। इस अवसर पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के सचिव डा.हेमंत तिवारी ने कहा कि संचार क्रांति अधिनियम 2000 के आने के बाद हमारे संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति के अधिकार को भी सीमांकित कर दिया गया है। किसी की व्यक्तिगत जानकारी को यदि उसकी बिना अनुमति के सोशल मीडिया के किसी भी मंच से सार्वजनिक करते हैं तो यह उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है तथा इसके विरुद्ध भी कार्यवाही की जा सकती है। किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, दूसरे के कंप्यूटर से बिना उसकी अनुमति के डाटा को ट्रांसफर करना या चूर्ण भी इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है। आजकल के कई युवा जोश में किसी बड़े नेता के विरुद्ध या किसी अन्य दूसरे धर्म के विरुद्ध हमारे आदत टिप्पणी कर देते हैं। इसके विरोध में उन पर इस अधिनियम के अंतर्गत कई बार मुकदमा चलाया जाता है और उन्हें सजा भी भक्त नहीं पड़ती है। अतएव लोगों को इसके प्रति जागरूक होने की विशेष आवश्यकता है। सेमिनार में उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षक संघ के मांडलिक मंत्री राजेश लिटोरिया ने कहा कि जानकारी क्या भाव में परिषदीय शिक्षकों के साथ वित्तीय लेन में कई प्रकार की धोखाधड़ी की जाती है, जिनके निवारण के लिए इस प्रकार के सेमिनार का आयोजन शिक्षकों के लिए अलग से किया जाना चाहिए जिससे वह डिजिटल वित्तीय लेनदेन की प्रक्रिया को आसानी से समझ सके वह धोखाधड़ी से बच सके। इस अवसर पर सेमिनार में प्रतिभा करने वाले लोगों को प्रशस्ति पत्र भी वितरित किए गए, जिनमें हरिश्चंद्र त्रिवेदी, विनीत तिवारी, मनोज किलेदार, अखिलेश गोस्वामी, मो.आसिफ ने अपने शोध पत्र सेमिनार में प्रस्तुत किये। इस अवसर पर शिक्षक संघ के जिला मंत्री अरुण गोस्वामी, शिक्षक आलोक गुप्ता, कोषाध्यक्ष आलोक श्रीवास्तव, रूपेश साहू, धर्मेंद्र यादव, रामनारायण मिश्र व विधि छात्र सलोनी श्रीवास्तव, विक्रम सिंह, आलोक पुरोहित, विक्रम सिंह, अखिलेश अहिरवार, भगवान सिंह यादव, करीम खान ने सेमिनार में सक्रिय प्रतिभाग किया। सेमिनार का संचालन सहायक निदेशक डा.हेमंत तिवारी ने किया।

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