क्या है भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक का भविष्य ?

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नई दिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक साक्षात्कार में कई विषयों पर खुलासा किया। पीएम मोदी से इंटरव्यू में विदेश नीति से लेकर भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों को लेकर सवाल किया गया। जब उनसे पूछा गया कि भारत के मुसलमानों का भविष्य कैसा है तब पीएम मोदी ने अपनी सरकार पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि भारतीय समाज में किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यक के प्रति भेदभाव की कोई भावना नहीं है।

पीएम मोदी ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि दुनियाभर में उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद उन्हें भारत में एक सुरक्षित आश्रय मिलता है। यहां वह सभी खुशी से और समृद्ध होकर रह रहे हैं। भारतीय समाज में किसी भी धर्म के अल्पसंख्यक के प्रति भेदभाव का कोई भावना नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की विदेश नीति के दृष्टिकोण को भी साझा किया। पीएम ने इसे राष्ट्रीय हितों के साथ व्यावहारिक जुड़ाव पर केंद्रित “मिक्स-एंड-मैच कूटनीति” के रूप में वर्णित किया। यूके स्थित फाइनेंशियल टाइम्स के साथ एक स्पष्ट साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा, “दुनिया एक दूसरे से जुड़ी हुई है और एक दूसरे पर निर्भर भी है।”

पीएम मोदी ने साक्षात्कार के दौरान इस बात पर जोर देते हुए ‘वैश्विक गतिशीलता की जटिलता’ को भी रेखांकित किया कि विदेशी मामलों में भारत का सबसे महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्धांत उसका राष्ट्रीय हित है। पीएम मोदी के अनुसार, यह दृष्टिकोण भारत को विभिन्न देशों के साथ इस तरह से जुड़ने में सक्षम बनाता है जो आपसी हितों का सम्मान करता है और समकालीन भूराजनीति की जटिल प्रकृति को स्वीकार करता है।

पीएम मोदी ने कहा, “विदेशी मामलों में हमारा सबसे महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्धांत हमारा राष्ट्रीय हित है। यह रुख हमें विभिन्न देशों के साथ इस तरह से जुड़ने की अनुमति देता है जो आपसी हितों का सम्मान करता है और समकालीन भूराजनीति की जटिलताओं को स्वीकार करता है।”

फाइनेंशियल टाइम्स साक्षात्कार में पीएम मोदी ने इजराय-हमास युद्ध के बारे में भी बातचीत किया। पीएम ने दो-राज्य समाधान पर भारत के रुख को रेखांकित किया और गाजा को मानवीय सहायता प्रदान की। बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार की सीधी आलोचना से बचते हुए, पीएम मोदी ने क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। पीएम मोदी ने क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान देने में भारत की सक्रिय भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मैं क्षेत्र के नेताओं के संपर्क में हूं। अगर शांति की दिशा में प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए भारत कुछ भी कर सकता है, वो हम निश्चित रूप से करेंगे।”

हमास के विनाशकारी हमलों में 1,200 से अधिक इजरायलियों की मौत के बाद भारत इजरायल-फलिस्तीन मुद्दे पर फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है, नई दिल्ली ने तेल अवीव के साथ एकजुटता व्यक्त की है लेकिन मध्य-पूर्व में शांति के लिए दो राज्यों के समाधान की वकालत की है।

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