प्यार नबी से करनें वाले कल भी थे और आज भी हैं

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अवधनामा संवाददाता

बाबा निजामी के उर्स के मौके पर आलइडिंया नातियारा का हुआ एतेमाम।

मौदहा-हमीरपुर : बुंदेलखंड के प्रसिद्ध सूफी संत अब्दुल्ला उर्फ हजरत बाबा निजामी कमरिया के उर्स के अवसर पर एक शानदार नातिया मुशायरा का प्रबंध किया गया जिसमें में हिंदुस्तान के प्रसिद्ध शायर डॉक्टर माजिद देवबंदी, खुर्शीद हैदर मुजफ्फरनगर के अलावा और भी मशहूर शायरों ने मुशायरा में अपना अपना कलाम पेश कर खूब वाह वाही लूटी मुशायरा की निजामत मसीहुद्दीन निजामी ने व सदारत सज्जादगान नें की।मुशायरा का आगाज क़ुरआन पाक की तिलावत से हुआ। यह मुशायरा सालों साल बड़ी कामयाबी के साथ होता चला आ रहा है इस वर्ष मुशायरा में बड़े मशहूर शायरों की शिरकत नें मुशायरे मे चार चांद लगा दिये। मुशायरा गाह मे बड़ी संख्या में बाबा से अकीदत रखनें वाले लोग के अलाव शेरो सुखन से मोहब्बत करनें वाले हजरात बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

डा0 माजिद देवबंदी नें जब यह नात पढ़ी तो पूरी महफिल झूमनें लगी और तमाम लैगों ने आवाज से आवाज मिला कर नात पाक पढ़ी।
प्यार नबी से करनें वाले कल भी थे और आज भी हैं।
उन के नाम पे मरने वाले कल भी थे और आज भी हैं।।
कैसा भी तूफान आ जाए उन की निस्बत के सदके।
दरिया पार उतरने वाले कल भी थे और आज भी हैं।।
खुर्शीद हैदर मुजफ्फरनगर का कलाम भी बहुत पसन्द किया गया।
वसीम रामपुर, खलीक तारिक सिदानपुर के अलावा मकामी शायरों नें भी अपने अपने कलाम पेश किये मुशायरा के इलतवा के बाद सलाम पेश किया गया।

वसीम रामपुरी के इस कलाम पर महफिल में बैठे हर शख्स नें दाद दी।

ऐहतराम के लायक मताए सुबहे हरम
मेरे नसीब में तैबा की शाम लिख देना।
मै इस जहान से जब उस जहां को कोंच करों
मेरे कफन में मोहम्मद का नाम लिख देना

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