अहंकार के अंधेरे का सौम्यता के प्रकाश ने चन्द लम्हों में किया अंत

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अवधनामा जिला संवाददाता हिफजुर्रहमान 

रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के साथ अहंकार के पुतलों का हुआ दहन।

मौदहा-हमीरपुर। जिलेभर में विजयदशमी पर्व पर जयघोष के बीच मंगलवार देर शाम रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के साथ अहंकार और भष्ट्राचार के पुतलों का दहन हुआ। रावण वध देखने के लिए दहन स्थलों में शाम से भीड़ पहुंचेनें लगी थी जिस के चलते मौदहा जाम की स्थिति उत्पन्न होगी थी। रावण के बारें मे बताया जाता है कि रावण नाम का दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है। राम तो बहुत मिल जाएंगे, लेकिन रावण नहीं। रावण तो सिर्फ रावण है। राजाधिराज लंकाधिपति महाराज रावण को दशानन भी कहते हैं। कहते हैं कि रावण लंका का तमिल राजा था। सभी ग्रंथों को छोड़कर वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण महाकाव्य में रावण का सबसे ‘प्रामाणिक’ इतिहास मिलता है।
रावण एक कुशल राजनीतिज्ञ, सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ तत्व ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान था, जो अन्य किसी के पास नहीं था। इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे। रावण एक भी विद्वान था उसने अपने तपोवल से नौ ग्रहों को अपना बंदी बनाकर रखा हुआ था वह कला, विज्ञान, चिकित्सा ,नृत्य, ज्योतिष ,वाद्य यंत्रों में निपुण था उसने रावण संहिता नामक ग्रंथ की भी रचना की थी उसने भगवान शिव की तपस्या कर 10 शीश का वरदान भी प्राप्त किया था इतनी सारी शक्तियां प्राप्त कर लेने के बाद उसमें अहंकार आ गया था बाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार उसने अपने बड़े भाई कुबेर की पुत्रवधू रंभा जोकि अप्सरा थी रावण ने उसके साथ बलातपूर्वक शोषण किया जिसके फल स्वरुप उसने रावण को श्राप दिया कि किसी भी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध वह उसको स्पर्श करेगा तो उसके वरदान में मिली शक्तियां नष्ट हो जाएगी इसीलिए माता सीता को अशोक वाटिका में बंदी बनाते हुए उसने कभी उन्हें स्पर्श करने की हिम्मत नहीं की लेकिन उसने अपनी शक्तियों के अहंकार में आकर भगवान राम के सहज सौम्य व्यवहार को उनकी कमजोरी समझी और उन्हें युद्ध में चुनौती देकर समस्त राक्षस कुल व अपने परिवार का अंत करवा डाला। मौदहा में दशहरा का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया , भगवान राम की शोभायात्रा शाम 7:00 बजे रामनगर व कुम्हरौडा से उठकर देवी चौराहा से कजियाना मथुरा मंदिर होते हुए रावण दहन स्थल पहुँची। रामनगर और कुम्हरौडा में रावण,कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाए गए इसके अलावा बच्चों द्वारा जगह-जगह छोटे-छोटे पुतले भी बनाए गए थे। चप्पे-चप्पे में पुलिस नें चाक चौबंद इंतजाम किये थे। शाम जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक नें रावण दहन स्थानों का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। दहन स्थल पर प्रशासन द्वारा फायर ब्रिगेड व एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई थी। लगभग रात 9:30 बजे रावण दहन अलग-अलग स्थानों पर भगवान राम के द्वारा किया गया, इसके बाद लोगों ने एक दूसरे को पान खिलाकर दशहरा की बधाइयाँ दी नगर में जगह-जगह पान के स्टाल लगाए गए थे। आधी रात तक लोगों नें एक दूसरे के घरों में जाकर दशहरा की मुबारक बाद पेश की और यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा।

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