बुंदेलखंड के लिए बहुरोग रोधी उर्द फसल के लिए प्रक्षेत्र दिवस आयोजित

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अवधनामा संवाददाता

बांदा। बुंदेलखंड क्षेत्र दालों की खेती बहुतायत में होने के कारण इसे दाल का कटोरा भी कहा जाता है। रबी दाल वाली फसलों में मसूर, मटर, चना, एवं खरीफ फसलों में मूंग, उर्द एवं अरहर इस क्षेत्र में उगाई जाने वाली मुख्य फसलें हैं। जिनमें खरीफ की उर्द की फसल का एक अहम स्थान हैद्य बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा में बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए बहूरोग रोधी उर्द फसल की विभिन्न प्रजातियों का विकास के लिए उत्तर प्रदेश कृषि एवं अनुसंधान परिषद, लखनऊ के माध्यम से वर्ष 2020 से एक परियोजना चलायी जा रही है। विश्वविद्यालय में इस परियोजना के अंतर्गत एक कार्यशाला एवं प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन 17 अक्टूबर, 2023 अनुवांशिकी एव पादप प्रजनन विभाग द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय, कुलपति महोदय प्रो0 नरेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा की गई। कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा0 जी एस पवार, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ0 शैलेश कुमार सिंह कृषि विज्ञान केंद्र, बाँदा के प्रमुख डा0 श्याम सिंह, विभागाध्यक्ष डा0 मुकुल कुमार, बांदा जनपद के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए जागरुक किसान भाई एवं विश्वविद्यालय के छात्र छात्राऐं उपस्थित रहे। कुलपति महोदय ने अपने संबोधन में किसानो को उर्द की खेती वैज्ञानिक तरीके से करने की सलाह दी। साथ ही यह कहा की वैज्ञानिक किसानों की समस्या के आधार पर विश्वविद्यालय के शोध को दिशा दे इसके लिए उन्होंने सभी को निर्देशित भी किया। माननीय कुलपति महोदय ने बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों से अपील भी किया की इस क्षेत्र के लिए फसलों की उन्नत एवं संस्तुत प्रजातियों को ही लगाने की सलाह दी।अधिष्ठाता कृषि, डॉ0 जी0 एस0 पवार ने बिजायी की विधि, फसल, प्रबंधन एवं सावधानियां, नियंत्रण के बारे में विस्तृत जानकारी किसान भाइयों को दी। कार्यक्रम में डॉ मुकेश मिश्रा के द्वारा कीट प्रबंधन, डॉ0 धर्मेद्र कुमार रोग प्रबंधन एवं डा. शैलेश कुमार सिंह के द्वारा उर्द की उन्नतशील प्रजातियों के चयन पर व्याख्यान दिए गया। कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले किसान भाइयों एवं छात्रों को शोध प्रक्षेत्र पर भ्रमण कराया गया, जिसमें उर्द की उन्नत प्रजातियों एवं तकनीकों के प्रदर्शन को दिखाया गया। कार्यक्रम का आयोजन परियोजना के मुख्य अनुवेशक डॉ0 सी0 एम0 सिंह, सहायक अनुवेशक, डा0 मुकुल कुमार एवं डा. धर्मेंद्र कुमार के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा0 सौरभ, सह प्राध्यापक, गृह विज्ञान के द्वारा किया गया।

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