शोक माह के अन्तिम दिन हल्लौर में निकला अमारी का जुलूस

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अवधनामा संवाददाता

फिर साल भरके के बाद गमे शाह आएगा-जिंदा जो रहेगा वही गम मनाएगा

हज़रत इमाम हसन अस्करी अस ने अपनी 28 साल की ज़िन्दगी में दुश्मनों की ओर से बहुत से दुख उठाए -ज़ाकिरे अहलेबैत जमाल हैदर करबलाई

डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। आठ रबीउल अव्वल को हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने अपनी 28 साल की ज़िन्दगी में दुश्मनों की ओर से बहुत से दुख उठाए और अब्बासी शासक ‘मोतमद’ के किराए के टट्टुओं के हाथों इराक़ के सामर्रा इलाक़े में ज़हर से आठ दिन तक दर्द सहने के बाद शहीद हो गए।

उक्त उदगार क्षेत्र के हल्लौर में शिया मुसलमानों के ग्यारहवें इमाम हज़रत हसन असकरी अस0के शहादत दिवस पर ज़ाकिरे अहलेबैत जमाल हैदर करबलाई ने मजलिस को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम और उनके अहलेबैत सच्चाई व हक़ के नमूने हैं यही वजह हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा था कि मैं तुम्हारे बीच दो क़ीमती यादगारें छोड़े जा रहा हूं एक अल्लाह की किताब क़ुरआन और दूसरे मेरे अहलेबैत। मेरे अहलेबैत सारे इंसानों के लिए नजात की कुंजी हैं। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम का जन्म 232 हिजरी क़मरी में मदीने में हुआ। इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम 22 साल के थे कि उनके पिता हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम शहीद हुए इसलिए मुसलमानों की हिदायत व मार्गदर्शन की ज़िम्मेदारी इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम के बाद इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के कांधों पर आ गई और उन्होंने अल्लाह के हुक्म के अनुसार इंसानी समाज को सुधारने और सच्चाई के रास्ते पर लगाने में अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार दी। अंत मे इमाम के मसायब बयान किया। मजलिस के बाद कस्बे की दोनो अंजुमनों ने अपने अपने आलम के साथ गश्त निकाला जबकि गुलदस्ता मातम के गश्त के साथ ऊँटो पर सजी अमारी निकाली गई जो पूरे कस्बे में भ्रमण किया। जिसका लोगों ने भरपूर बोसा लिया। शनिवार की शाम कस्बे में जगह जगह छोटे ताजियों के साथ 20 फिट के बड़े ताज़िये रखे गए। गम के आखरी दिन को लेकर किसी शायर ने कहा कि फिर साल भरके के बाद गमे शाह आएगा-जिंदा जो रहेगा वही गम मनाएगा। कर्बोबला के प्यासे मेहमान खुदा हाफिज पर नौहा पढ़कर शिया समुदाय द्वारा खूब मातम किया। रविवार को ताजियादार अपने-अपने ताजियों को सरों पर उठाकर कस्बे के पश्चिम स्थित कर्बला ले गये और ताजियों को अकीदत के साथ दफन किया। इस दौरान अकीदतमंदों ने ज़ियारत कर खेराजे अक़ीदत पेश की। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नायाब रिज़्वी नेता, आफ़ताब रिज़्वी पत्रकार, माहताब हैदर एडवोकेट की जानिब से विशाल भण्डारे की व्यवस्था की गयी। इस दौरान सदर डॉ वज़ाहत हुसैन, इं मोहम्मद मेंहदी, सिकरेट्री काजिम रज़ा, तसकीन हैदर, ज़ीशान अहमद चिक्के, कसीम रिज़वी, रिंकू पुलिस, अरमान, फरमान, शबलू, रेहान, शबीह, शादाब, मनव्वर, कामयाब, नफीसुल हसन, लाडले, इंतेज़ार शबाब, नफ़ीस, मुन्ना, अख्तर, बबलू एसीसी, जलाल, अली ताहिर राजा, कासिम, शौकत, मंज़र, वसी, शयान, अली, मौजिज, ज़ामिन, काशान् सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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