हज पर जाने की तमन्ना रखने वाले 42000आजमीन को मायूस होना पड़ा

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हज 2025 के लिए प्राइवेट टूर्स के ज़रिये हज पर जाने की तमन्ना रखने वाले हिंदुस्तान के 42000 आज़मीन को आख़िरकार मायूस होना पड़ा। पिछले कुछ महीनों से इसको लेकर चल रही अटकलें अपने आख़री दौर में 20 फीसदी कोटे तक महदूद होकर रह गई, हज ग्रुप आर्गेनाइज़र्स के कोटे में अरब सरकार की जानिब से की गई 80 फीसदी कटौती ने हज पर जाने का पूरी तरह मन बना चुके हिंदुस्तान के आज़मीन को नाराज़ कर दिया। फैसला एनवक़्त पर लिया गया जब बहुत से आज़मीन ने जहाँ प्राइवेट टूर्स को अपनी पूरी रकम जमा करा दी और हज पर जाने की तैयारियों में मशगूल हो गए।

वहीं टूर ऑपरेटर्स भी सऊदी तक के बहुत से इंतज़ामात कर चुके थे, कभी ख़ुशी-कभी गम की तर्ज पर पिछले दो महीने से यही सुनने को मिलता रहा कि कोटा बढ़ेगा, सभी जायेंगे तो कभी एकदम से यह सुनने को मिलता रहा कि बहुत मुश्किल है। कोटा 20 परसेंट ही रहेगा, हिंदुस्तान के बहुत से टूर के ज़िम्मेदार सऊदी जाकर रुके रहै ताकि कहीं से कोई बात बन जाए।उन्होंने कोशिशे भी की लेकिन नतीजा सिफर रहा, अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से भी इस मुताल्लिक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जो फैसला सऊदी सरकार ने कर दिया उसी पर इत्मीनान कर लिया गया।

शायद ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, पिछले एक दशक से हज के नाम पर गैर रजिस्टर्ड टूर्स से बुकिंग कराकर फंस चुके लोगों की खबरों को पढ़-सुनकर यही बेदारी मुहिम चलाई जाती रही कि कोई ऐसे बगैर लाइसेंस वाले टूर को हज के नाम पर पैसा न दें नहीं तो धोखा हो सकता है, लेकिन इस साल तो लोगों ने रजिस्टर्ड टूर को पैसा जमा कराया था, उनके खाते में पेमेंट ट्रांसफर किया था फिर भी धोखा हो गया।

अगले साल क्या लोग भरोसा करेंगे टूर पर? और टूर वाले भी क्या बोलकर बुकिंग करेंगे, सऊदी सरकार का कब कौनसा क़ानून आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। हज पर जाने की तमन्ना रखने वाले हज कमेटी में नाम न आने और लम्बी वेटिंग की वजह से प्राइवेट टूर्स से जाने का मन बनाते हैं। हज के लिए ज़िन्दगी भर की कमाई में से पाई-पाई जोड़ अपने फ़र्ज़ की अदायगी को पूरा करने में ख़ुशी-ख़ुशी उसे नेक काम में सर्फ करते हैं लेकिन जब हज पर जाना कैसल होता है तो उन पर क्या बीतती है वही जानते हैं।

ऐसा क्यूँ हुआ ? क्या गलती रही ? किसकी गलती रही ? लेकिन सबसे बड़ा सवाल हज पर जाने वालों की क्या गलती रही ? उन्होंने तो तयशुदा वक़्त पर अपनी रकम जमा करा दी थी, उन्हें सज़ा क्यूँ ? अरब सरकार को हज पर आने वालों की तादाद कम करना था तो पहले ही क्लियर कर देना था ताकि मंत्रालय हज ग्रुप ऑर्गेनाईज़र्स को इस साल सऊदी सरकार का रवैय्या बता देता ताकि फौरन कोई फैसला लिया जाता।

बहरहाल.. अब तो सब कुछ खत्म हो गया है पोर्टल बंद कर दिया गया है, कोटे में इज़ाफ़ा होने की उम्मीद नहीं के बराबर है, प्राइवेट टूर्स के साथ हज का इरादा रखने वालों ने आस छोड़ दी है। 20% कोटे के मान से आज़मीन को ले जाने के लिए कुछ ग्रुप आपस में मिलकर बड़ा ग्रुप बनाकर निकल गए हैं कुछ निकलने वाले है, जिनकी जिस रेट में बुकिंग हुई है उनसे एक्स्ट्रा अमाउंट लिए जाने की खबरें हैं ।तो किसी वजह से वीज़ा आने के बाद कैंसल करा चुके आज़मीन से केंसिलशन के नाम पर हज ऑर्गनाइजेशन द्वारा मोटी रकम काटे जाने की भी शिकायतें हैं। जो टूर ऑपरेटर 20% कोटे को लौटा दिए जाने की बात कर रहै हैं उनमें कितनी सच्चाई है ? ये जाँच का विषय है मंत्रालय को इस पर गौर करना चाहिए।

हज ग्रुप ऑर्गेनाइज़र्स ने हज का अमाउंट जिस तरह से भी आगे भेजा है उसे फौरन वापस किये जाने के साथ एयरलाइन्स कम्पनियों को बगैर किसी शर्त या कोई रकम काटे हज ऑर्गनाइजर को रकम लौटाने में जल्दबाजी दिखाना चाहिए ताकि वे भी हज के लिए जमा की गई रकम अपने यहॉं बुकिंग कराने वालों को लौटा सकें ।

खादिम डॉक्टर इफ्तेखार अहमद कुरैशी जिला अध्यक्ष- ऑल इण्डिया हज वेलफेयर सोसायटी. जनपद संभल

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