वर्चस्वता की लड़ाई में बेरोजगार हुए 40 मजदूरों ने की सरकार से रोजगार की मांग

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अवधनामा संवाददाता

-संगठित मजदूरों और मुहल्लेवासियों के एक साथ सामने आ जाने से नगर पंचायत और प्रशासन का यह दांव उल्टा पड़ते दिख रहा है।
-बैरिकेडिंग न हटाना सरकार की मंशा के खिलाफ और सरकार की छवि खराब करने का कुत्सित प्रयास माना जायेगा। कहा आनंद पटेल दयालु ने।

सोनभद्र/ओबरा। नगर पंचायत ओबरा क्षेत्र में विगत 40 साल से संचालित एक पाइप फैक्ट्री का उत्पाद और कच्चा माल का आवागमन मार्ग बैरिकेडिंग लगाकर बंद कर कर दिए जाने से फैक्ट्री में कार्यरत मजदूरों सहित मोहल्ले वासियों में आक्रोश पनप गया है। मामला व्यक्तिगत कहासुनी से होते हुए विकास के मार्ग में रोड़ा और दुर्घटना से सावधानी की कहानी बनकर रह गई है। यह मामला फैक्ट्री प्रबन्धन को सबक सिखाने तक आकर बैरीकेडिंग पर समाप्त भले हो गया पर मजदूरों के रोजगार पर जाकर अटक गया।
इतना ही नहीं दांव तब उल्टा पड़ गया जब मुहल्ले वालों ने लिखित हस्ताक्षर कर संचालित फैक्ट्री से किसी तरह की असुविधा न होना तथा बैरिकेडिंग को जनविरोधी और असुरक्षित कदम बताया। आवागमन बन्द होने से स्थानीय नगर पंचायत और तहसील प्रशासन तक पर अदूरदर्शिता से काम लेने की जन धारणा मुखर होने लगी। इधर दूसरे पक्ष ने यही दांव खेला था कि फैक्ट्री संचालन जनहित में नहीं है तथा उससे परिवहीत माल से सड़क खराब हो रही है। बहरहाल मजदूरों और मुहल्लेवासियों के आमने सामने आ जाने से नगर पंचायत और प्रशासन का यह दांव उल्टा पड़ते दिख रहा है।
बेरोजगार हुए लगभग 40 मजदूरों ने शुक्रवार को अपना दल यस युवा मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष आनंद पटेल दयालु को अपना दुखड़ा बताते हुए हस्ताक्षरित ज्ञापन सौंपकर फैक्ट्री को बहाल कराने की मांग की है। प्रदेश उपाध्यक्ष आनंद पटेल दयालु ने मजदूरों की मांग जायज ठहराते हुए अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत ओबरा कार्यालय में ज्ञापन सौंपते हुए मांग किया है कि सड़क खराब होने व दुर्घटना की आशंका के तहत अपनी वर्चस्वता का झंडा सरकारी आर्डर की आड़ में गाड़ते हुए 40 साल से चली आ रही फैक्ट्री के उत्पाद को बाहर जाने से रोकने हेतु मार्ग
अवरुद्ध कर बैरिकेडिंग कर दी गई वह ना तो मजदूरों के हित में है नहीं फैक्ट्री मालिक और ना ही मोहल्ले वालों के भी हित में है। आरोप लगाया है कि बैरिकेडिंग कर दिए जाने से खुदा न खास्ता कभी कोई मोहल्ले में घटना दुर्घटना आपदा या फिर शॉर्ट सर्किट व अन्य कारणों से आग लगी तो न तो कोई एंबुलेंस वहां आ सकती है और ना ही फायर बिग्रेड की गाड़ियां ही । ऐसे में व्यक्तिगत हित साधना कहीं से भी जनहित में नहीं है। श्री दयालु ने कहा कि अगर दुर्घटना के नाम पर बैरिकेडिंग कर फैक्ट्री के उत्पाद का मार्ग अवरुद्ध किया गया है तो फिर इसमें उन मजदूरों का क्या कसूर जो लंबे अरसे से उस फैक्ट्री में काम करके अपनी जीविकापार्जन करते चले आ रहे हैं । अगर नियमानुसार उस फैक्ट्री का मार्ग अवरुद्ध करना जायज है तो फिर मजदूरों को बेरोजगार करना किस कानून के तहत जायज है। उन्होंने मांग किया कि उन मजदूरों को जिन्होंने लिखित में फैक्ट्री बहाल कर अपनी जीविकापार्जन की मांग की है या तो उनकी फैक्ट्री बहाल कराएं और बैरिकेडिंग हटाए या फिर उन्हें नगर पंचायत कहीं समायोजित कर उन्हें रोजगार प्रदान करे।
बल देते हुए कहा कि जब मजदूरों को, मोहल्ले वासियों को कोई आपत्ति नहीं है तो फिर 40 साल से चली आ रही उस फैक्ट्री को बंद कराने की हालात पैदा करने हेतु बैरिकेडिंग करा देना तथा मजदूरों को बेरोजगार कर देना न तो सरकार की मंशा के अनुकूल है ना ही मानवता के हित में। कहा कि बैरिकेडिंग न हटाना सरकार की मंशा के खिलाफ और सरकार की छवि खराब करने का कुत्सित प्रयास माना जायेगा।
अन्यथा की स्थिति में अपने मूलभूत अधिकारों के लिए मजदूर कभी भी धरना प्रदर्शन करेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी ओबरा नगर पंचायत प्रशासन की होगी। मुख्य रूप से जिला उपाध्यक्ष महेश अग्रहरी, युवा मंच जिला महासचिव दिनेश केसरी, सामाजिक कार्यकर्ता इमरान खान, युवा मंच जिला उपाध्यक्ष राजकुमार यादव, जिला उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक मंच शरीफ खान, सेक्टर अध्यक्ष विकास कुमार गौड़ ,सक्रिय सदस्य चंद्रशेखर माली, पारसनाथ चौधरी, मजदूरों में समीर, सोनू यादव, रामचंद्र, मुकेश सिंह, राहुल मिश्रा, इरफान खान, गुलशन, हंसराज आदि 40 मजदूर उपस्थित रहे।

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