अवधनामा संवाददाता
जो कौ़म सोच अच्छी रखती है, वही तरक्की करती है ‘‘मौलाना डाॅ0 क़ल्बे रूशैद’’
बाराबंकी। कर्बला सिविल लाइन में अन्जुमन गुन्चयें अब्बासियां के तत्वाधान में आल इण्डिया महफिल जश्नें हजरत अब्बास (अ.) का 21 वां दौर बहुत ही शान व शौकत के साथ मनाया गया। जिसकी शुरूआत तिलावते कलाम पाक से मौलाना हिलाल अब्बास साहब ने की। उसके बाद मुजफ्फरनगर से आये मौलाना सैय्यद मोहम्मद हुसैन, हुसैनी ने खिताब किया। बताते चले कि अंजुमन गुंचाये अब्बासिया द्वारा हर वर्ष दीनी व समाजी कामो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने और कौम के होनहार बच्चों को हजरत अब्बास अवार्ड से सम्मानित किया गया। जिसमे विशेष पुरस्कार मरहूम सै0 तहज़ीब अस्करी और सै0 मज़ाहिर हुसैन व डाॅ0 रज़ा मौरानवी को उनके द्वारा किये गये के सामाजिक व दीनी (अदबी) खि़दमत के लिए दिया गया। मुजफ्फर नगर से आये हुए मौलाना सै0 मोहम्मद हुसैन, हुसैनी साहब ने खिताब करते हुए कहा कि जिस तरह मौला-ए-क़ायनात इल्म के शहर के दरवाजा हैं जिसे भी शहरे इल्म तक पहुंचना है उसे दरवाजे से गुज़रना पड़ेगा। दिल्ली से आये वरिष्ठ शिया धर्मगुरू व स्काॅलर मौलाना डाॅ कल्बे रूशैद रिज़वी ने कहा कि इल्म इंसान के अन्दर उजाला पैदा करता है लिहाजा जिसे भी अपने अन्दर उजाला पैदा करना है वह तालीम हासिल करे और जिस कौ़म ने तालीमी मरकज़ कायम किए वह कामयाब हैं व महफिल में आज़मगढ़ से आये हुए मौलाना मेराज हैदर खां साहब ने फरमाया हज़रत अब्बास सिर्फ शुजाअत ही में नहीं बल्कि इल्म, तकवा, परहेज़गारी और वफादारी में भी सानिये हैदर है। मौलाना कल्बे रूशैद ने इल्म पर जोर देते हुवे कहा कि हम लोगो ने सजदे के लिए मस्जिद तो बनाता है पर इल्म के लिये कालेज नही बनाता है आज बहुत जरूरी है कि मस्जिदों की जगह कालेज बनना चाहिये जिससे हमारे कौम के बच्चे इल्म हासिल कर देश की खिदमत कर सके। उसके बाद महफ़िल का दौर शुरू होता है। महफिल का संचालन ज़ाहिद काज़मी, कानपुरी ने संचालन किया। मुल्क के मशहूर शायरों में जिसमें हिन्दुस्तान के मशहूर शायर हिलाल नकवी, लखनवी ने पढ़ा, ’’ज़हरा के कातिलों पे तबर्रे का ये अमल मख्सूस ख़ानदानों में पैदा किया गया’’। आसिफ जलाल बिजनौरी ने पढ़ा हुुब्बे हैदर के चरागो को चलाये रखिये चोर हरग़िज भी उजाले में नहीं आयेंगे। सहर अरशी ने पढ़ा जिसकी आंखों में गमे शह की नमी मिलती नहीं, उसकी नस्लों को कभी कोई खुशी मिलती नहीं। चन्दन फैज़ाबादी ने कहा नूर इस दर्जा जनाबे जौन के चेहरे में है, चांद का क्या ज़िक्र हो सूरज भी सन्नाटे में है। वकार सुल्तानपुरी ने पढ़ा ’’ कहीं भी हो यकीनन इश्क का जज़्बा बता देगा है दीवाना अली का ये लबो लहजा बता देगा’’, उस्ताद शायर बेताब हल्लौरी ने पढ़ा’’ वहां कश्ती यज़िदीयत की डूबी जहां इक बूंद भी पानी नहीं था। जावेद रज़ा छौलसी ने पढ़ा’’, सारी महफिल का ये ही नारा है नामे अब्बास कितना प्यारा है ऐसी महफिल में जो नहीं आये समझो तकदीर का वह मारा है। पैगाम बड़ागांवी ने पढ़ा जो जश्ने अब्बास मनाने आए हैं खु़ल्दे बरी में घर वो बनाने आये हैं। मौलाना अयाज़ आलमपुरी ने पढ़ा’’ अयाज गुन्चए अब्बासिया की महफिल में हमेशा शहर की करबोबला सजाते हैं। मुदस्सिर जौनपुरी ने कहा मैं मुदस्सिर दास्ताने करबला लिखने लगा हक़ व बातिल का कलम से फैसला लिखने लगा। कमसिन शायर रेहान जलालपुरी ने पढ़ा’’ वहदत के मयखा़ने का मिल जाये मौलाई जाम परदे से आ जाये इमाम रब से दुआ है सुबहो शाम, आने वाला परदे से जब आयेगा। मरजान हाशमी ने पढ़ा’’ दूर जो हो गया ग़मे शह से आज दहशतगरों में शामिल है। इसके अलावा उस्ताद शायर डाॅ0 रज़ा मौरानवी, कशिश सन्डीलवी, अयाज आलमपुरी, कलीम आजर, बाकर नकवी, मुजफ्फर इमाम बाराबंकवी, मुहिब मौरांवी, सरवर अली रिज़वी, कामयाब संडीलवी, जाकिर बाराबंकवी ने भी अपना कलाम पेश किया। महफिल सुबह लगभग 6 बजे तक चलता रहा। महफिल की समाप्ति पर मोमिनीन को तोहफे से नवाज़ा गया। अंजुमन की जानिब से बाहर से आये हुए लोगों के लिए खाने, चाय व पानी की सबील का रातभर इंतजाम किया गया। महफिल के कन्वीनर जनाब कमर इमाम व अंजुमन के महासचिव कशिश संडीलवी, अध्यक्ष शाहिद हुसैन, उपाध्यक्ष रजा हैदर, सादिक हुसैन, जाफर इमाम, समीर अब्बास, सिकरेट्री जफर इमाम आबदी, ज्वाइन्ट सिकरेट्री जीशान हैदर अम्मार हैदर, शेर खान, जाकिर इमाम, असगर इमाम, कामयाब हैदर, गाजी इमाम, वजूद हैदर आदि ने महफिल को कामयाब बनाने के लिए भरपूर सहयोग दिया।
महफिल की समाप्ति पर महासचिव व कन्वीनर कशिश संडीलवी व सै0 कमर इमाम आब्दी डॉ0 असद अब्बास, सै0 मुजाहिद हुसैन नकवी, इरफाद हुसैन ने बाहर और शहर से आये हुए तमाम लोगों का व जिला प्रशासन व नगर पालिका का शुक्रिया अदा किया।