चुनावी अभियान: गूंजते नारे, खटाखट और जुमले

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Lok Sabha Election 2024 हर चुनाव में कुछ नारे और कुछ जुमले इतने बड़े हो जाते हैं कि वर्षों तक उनकी गूंज रहती है। अच्छे दिन.. मोदी है तो मुमकिन है शहजादे जैसे नारों व शब्दों के बाद अब कुछ कहने की जरूरत नहीं होती है। इस बार खटाखट फटाफट सफाचट जैसे शब्दों की गूंज रही। भाजपा ने भी इन नारों पर पलटवार किया।

हर चुनाव में कुछ नारे और कुछ जुमले इतने बड़े हो जाते हैं कि वर्षों तक उनकी गूंज रहती है। अच्छे दिन.., मोदी है तो मुमकिन है, शहजादे जैसे नारों व शब्दों के बाद अब कुछ कहने की जरूरत नहीं होती है। इस बार खटाखट, फटाफट, सफाचट जैसे शब्दों की गूंज रही।

राहुल गांधी ने कांग्रेस के घोषणापत्र की ओर वोटरों का ध्यान आकर्षित करने के लिए खटाखट शब्द का इस्तेमाल क्या किया, पूरा लोकसभा चुनाव इसी की पैरोडी रचते-सुनाते बीत गया। भाजपा ने उनके खटाखट का तगड़ा जवाब भी दिया और कहा कि कांग्रेस की हर स्थान से फटाफट विदाई तय है।

खटाखट…खटाखट

नारे गढ़ने और उसके सहारे नैरेटिव खड़ा करने में भाजपा का कोई मुकाबला नहीं है, लेकिन इस चुनाव में पार्टी ने यह भी प्रदर्शित किया क वह नारों का उतनी ही आक्रामकता से जवाब देने में पीछे नहीं है। राहुल गांधी ने लोगों की गरीबी दूर करने के लिए कांग्रेस के इस संकल्प को दर्शाया था कि वह खातों में पैसा चुटकी बजाते डालेंगे-खटाखट…खटाखट।

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में यह वादा किया है कि वह संपत्ति का सर्वेक्षण कराएगी और उसके पुनर्वितरण की पहल करेगी। इसी संदर्भ में उन्होंने कांग्रेस के सत्ता में आने की स्थिति में महिलाओं के खातों में खटाखट पैसा डालने का बात की थी। पैसा आजकल भले ही इलेक्ट्रानिक तरीके से ट्रांसफर किया जाता हो, लेकिन राहुल गांधी के शब्द मैकेनिकल आवाज की अनुभूति कराते हैं। उन्होंने शायद ही यह कल्पना की हो कि खटाखट की यह आवाज लोकसभा चुनाव में देर तक सुनी जाती रहेगी।

सभी नेताओं ने किया इस्तेमाल

प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस के तमाम अन्य नेताओं ने भी खटाखट की इस ध्वनि का इस्तेमाल दूसरी बातों को समझाने में किया। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि राहुल गांधी का खटाखट वाला जुमला ठीक उसी तरह कांग्रेस पर भारी पड़ सकता है जैसा 2019 में चौकीदार चोर है, के नारे के जवाब में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थन में मैं भी चौकीदार वाला अभियान चलाकर किया था।

भाजपा ने इस चुनाव में खटाखट के जवाब में अपनी कोई साउंड इंजीनियरिंग तो नहीं की, लेकिन पीएम ने कांग्रेस पर अपने हमलों के क्रम में यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस का यह सोच क्यों है। पीएम ने कहा- ‘गांधी परिवार को महलों में रहने की आदत है। इन शहजादों को कड़ी मेहनत और उसके बाद मिलने वाले फल का कोई अनुभव नही है। इसीलिए वे कहते हैं कि देश अपनी रफ्तार से प्रगति करेगा, कैसे…खटाखट…खटाखट। रायबरेली की जनता भी उन्हें (राहुल गांधी को) खटाखट खटाखट घर भेज देगी।’

सहयोगी पार्टियों ने भी मिलाया सुर

राहुल गांधी के जुमले का असर कांग्रेस के सहयोगी दलों पर भी हुआ। बिहार की एक रैली में राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा-आपको नौकरियां मिलेंगी फटाफट..फटाफट। भाजपा हो जाएगी सफाचट..सफाचट। कांग्रेस और लालटेन को वोट मिलेंगे ठकाठक…ठकाठक। तेजस्वी जब यह तुकबंदी कर रहे थे तब राहुल गांधी उनके बगल में ही बैठे थे।

सपा के प्रमुख अखिलेश यादव पर भी खटाखट का रंग नजर आया। एक चुनावी सभा में उन्होंने इसकी तुकबंदी में गटागट…गटागट का इस्तेमाल किया। उनका इशारा चुनावी बांड स्कीम के तहत भाजपा को मिले चंदे की ओर था। भाजपा की ओर से अमित शाह, हिमंत बिस्वा सरमा, योगी आदित्यनाथ लगभग सभी स्टार प्रचारकों ने राहुल गांधी के खटाखट का जवाब कांग्रेस की फटाफट, खटाखट विदाई के साथ दिया।

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