कानपुर के चमड़ा उत्पाद निर्माताओं के लिए यह वर्ष खुशखबरी लेकर आया है। केंद्र सरकार के पैकेज के बाद राज्य सरकार की नई नीति और अब जीएसटी दरों में राहत से उद्योग में उत्साह है। फिनिश्ड लेदर पर टैक्स 12% से घटकर 5% होने से घरेलू और निर्यात बाजार में वृद्धि की उम्मीद है।
चमड़ा उत्पाद के लिए यह वर्ष अच्छा रहा। पहले केंद्र सरकार ने बजट में 6,600 करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की, हाल ही में राज्य सरकार ने नई चर्म एवं फुटवियर नीति बनाई और अब जीएसटी की दरों में राहत की घोषणा हुई तो उसमें भी फिनिश्ड लेदर पर टैक्स को 12 से घटा कर पांच प्रतिशत कर किया गया। इसे लेकर चर्म उत्पाद निर्माता उत्साहित हैं।
उनका दावा है कि अब घरेलू बाजार के साथ निर्यात के क्षेत्र में भी बढ़त मिलेगी। चमड़ा कानपुर में एक जिला, एक उत्पाद की श्रेणी में चयनित है। राष्ट्रीय परिदृश्य पर बात करें तो चर्म उत्पादों की 35 हजार करोड़ रुपये का निर्यात और 67 हजार करोड़ रुपये की घरेलू खपत है।
चर्म निर्यात परिषद ने 2030 तक इसे चार लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। अभी तक जो स्थिति है, उसमें फिनिश्ड चमड़े पर 12 प्रतिशत टैक्स था जिसे जीएसटी काउंसिल की बैठक में घटाकर पांच प्रतिशत किया गया है।
12 फीसदी टैक्स नहीं भरना होगा
दूसरी बड़ी राहत 2,500 रुपये तक के जूते पर दी गई है। अभी एक हजार रुपये के जूते पर पांच प्रतिशत, 2,500 रुपये तक के जूते पर 12 प्रतिशत और उसके ऊपर के जूते पर 18 प्रतिशत जीएसटी था। अब 2,500 रुपये तक के जूते पांच प्रतिशत और उसके ऊपर के जूते 18 प्रतिशत पर मिलेंगे।
हालांकि, हैंड बैग और पर्स में पांच प्रतिशत की ही दर रखी गई है, लेकिन फिनिश्ड लेदर पर टैक्स दर घटने से इनकी लागत नीचे आएगी। अगर कानपुर की बात करें तो यहां घरेलू और निर्यात में 15 हजार करोड़ रुपये का माल खपता है।
चर्म निर्यात परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरके जालान के मुताबिक टैक्स दरें बदलने से जितना लाभ ग्राहक को होने जा रहा है, बिक्री बढ़ने से उतना ही ज्यादा लाभ निर्माता को भी होगा। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की दर 7.8 प्रतिशत की थी।
जीडीपी की दर आठ प्रतिशत को छू लेगी
इस घोषणा के बाद अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही की जीडीपी की दर आठ प्रतिशत को छू लेगी। चर्म निर्यात परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष असद इराकी के मुताबिक फुटवियर उद्योग के लिए इस बार त्योहार का मौका वास्तव में त्योहार लेकर आया है।
ढाई हजार रुपये तक के जूते अब 12 की जगह मात्र पांच प्रतिशत जीएसटी में मिलेंगे। इससे कीमत पर असर पड़ेगा और बिक्री भी बढ़ेगी।