इतिहास के पन्नों में 12 नवंबरः जब इंदिरा को कांग्रेस से बाहर किया गया

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देश-दुनिया के इतिहास में 12 नवंबर की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह ऐसी तारीख है जिसे इंदिरा गांधी और उनके विश्वासपात्र कभी नहीं भूल पाए। बात 1969 की है। इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। इस समय कांग्रेस में कुछ बुजुर्ग नेताओं का सिंडिकेट हावी था। इंदिरा गांधी की भूमिका राम मनोहर लोहिया के शब्दों में ‘गूंगी गुड़िया’ से ज्यादा नहीं थी।

कहते हैं कि इंदिरा चाहती थीं कि वीवी गिरि को राष्ट्रपति बनना चाहिए पर सिंडिकेट ने नीलम संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। यह इंदिरा गांधी बर्दाश्त नहीं कर पाईं। उन्होंने बगावत कर दी और रेड्डी हार गए। मोरारजी देसाई को वित्त मंत्री पद से हटाने के बाद से ही सिंडिकेट के नेता इंदिरा से नाराज थे। रेड्डी की हार ने उन्हें और परेशान कर दिया।

इस दौरान तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष एस निजालिंगप्पा के खिलाफ सिग्नेचर कैम्पेन शुरू हो गया। इंदिरा भी अलग-अलग राज्यों में जाकर कांग्रेसियों को अपने पक्ष में लामबंद करने लगीं। इंदिरा समर्थकों ने कांग्रेस का विशेष सेशन बुलाने की मांग की ताकि नया अध्यक्ष चुना जा सके। गुस्से में निजालिंगप्पा ने इंदिरा को खुला पत्र लिखा और आंतरिक लोकतंत्र खत्म करने का आरोप लगाया। खाई इतनी चौड़ी हो गई कि इंदिरा गांधी ने निजालिंगप्पा की बैठकों में हिस्सा लेना बंद कर दिया।

12 नवंबर को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की दो जगहों पर मीटिंग हुईं। एक प्रधानमंत्री आवास और दूसरी कांग्रेस के जंतर-मंतर रोड कार्यालय में। तब कांग्रेस कार्यालय में हुई मीटिंग में इंदिरा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाल दिया गया और संसदीय दल से कहा गया कि वो अपना नया नेता चुन लें। इसके बाद इंदिरा गांधी ने फौरन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों की मीटिंग बुलाई। इसमें कांग्रेस के 429 सांसदों में से 310 ने भाग लिया। इंदिरा ने कांग्रेस के दो टुकड़े कर दिए। इंदिरा की पार्टी का नाम रखा गया कांग्रेस (आर) और दूसरी पार्टी हो गई कांग्रेस (ओ)। तब इंदिरा ने सीपीआई और डीएमके की मदद से कांग्रेस (ओ) के अविश्वास प्रस्ताव को गिरा दिया।

यह तारीख शिक्षा को नए मकाम पर ले जाने वाले महामना से लेकर पक्षी मानव से जुडी है। इसी तारीख को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक और भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का वाराणसी में निधन हुआ था। इसी तारीख को देश के सुप्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली का जन्म हुआ और उनकी जयंती को राष्ट्रीय पक्षी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1781ः अंग्रेजों ने नागपट्टनम पर कब्जा किया।

1847ः ब्रिटेन के चिकित्सक सर जेम्स यंग सिंपसन ने बेहोशी की दवा के रूप में पहली बार क्लोरोफार्म का प्रयोग किया।

1918ः ऑस्ट्रिया गणतंत्र बना।

1925ः अमेरिका और इटली ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।

1930ः लंदन में भारत में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा के लिए पहले गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत।

1936ः केरल के मंदिर सभी हिंदुओं के लिए खुले।

1956ः मोरक्को, सूडान और ट्यूनीशिया संयुक्त राष्ट्र में शामिल हुए।

1974ः दक्षिण अफ्रीका नस्लीय नीतियों के कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा से निलंबित।

1984ः ब्रिटेन ने एक पाउंड का नोट बंद किया।

1990ः जापान में सम्राट आकिहितो का परम्परानुसार राज्याभिषेक।

1995ः नाइजीरिया राष्ट्रमंडल की सदस्यता से निलंबित हुआ।

2001ः न्यूयॉर्क में अमेरिकी एयरलाइंस का विमान एयरबस ए-300 दुर्घटनाग्रस्त। 260 यात्रियों की मौत।

2002ः संयुक्त राष्ट्र ने स्विट्जरलैंड के संघीय ढांचे के आधार पर साइप्रस के लिए एक नई शांति योजना तैयार की।

2008ः देश का पहला मानव रहित अंतरिक्ष यान चंद्रयान-1 चन्द्रमा की अंतिम कक्षा में स्थापित।

2009ः भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के ‘अतुल्य भारत’ अभियान को ”वर्ल्ड ट्रेवल अवार्ड-2009” से नवाजा गया।

जन्म

1896ः सुप्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सलीम अली।

1934ः भारतीय बाल रोग विशेषज्ञ दिलीप महलानबीस।

1940ः दिग्गज अभिनेता अमजद खान।

1943ः अंतरिक्ष वैज्ञानिक बीएन सुरेश।

निधन

1946: महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक महामना मदनमोहन मालवीय।

2012ः भारत के जाने-माने समाज सुधारक लल्लन प्रसाद व्यास ।

2018ः भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार।

महत्वपूर्ण दिवस

– महामना मदन मोहन मालवीय की पुण्यतिथि।

-राष्ट्रीय पक्षी दिवस ( सलीम अली की जयंती)।

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