पिछले डेढ़ दशक में विश्व भर में कैंसर एवं अन्य दीर्घकालिक बीमारियों (क्रोनिक डीज़ीज़) की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है । उन देशों में जहां लोग "युवा आयु में ही दीर्घकालिक बीमारियां से पीड़ित हो जाते हैं, अक्सर निवारणीय जटिलताओं के साथ वे लंबे समय तक पीड़ित रहते हैं । गहन एवं प्रभावकारी चिकित्सीय रणनीतियाँ, जिसमें चुनिंदा कैंसर कोशिकाओं को हटा देते हैं, वर्तमान समय की माँग हैं । कोशिका की मृत्यु (सेल डेथ), कैंसर रोग चिकित्साशास्त्र एवं विषविज्ञान में इसके एप्लिकेशन में हाल में हुई प्रगति पर प्रकाश डालने के लिए सी.एस.आई.आर.- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ, रॉसवेल पार्क इंस्टीट्यूट, यू.एस.ए. एवं इंटरनेश्नल सेल डेथ सोसाईटी संयुक्त रूप से सेल डेथ इन कैंसर एंड टाक्सिकालजी (सीडीसीटी -2018) विषय पर इस तीन दिवसीय, दिनांक 20-22 फरवरी, 2018 के दौरान अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन(इंटरनेशनल कांफ्रेंस) का आयोजन कर रहे हैं । दिनांक 20 फरवरी, 2018 को प्रातः 09:30 बजे कन्वेन्शन सेंटर, किंग जार्ज्स मेंडिकल यूनवर्सिटी, लखनऊ में आयोजित उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. राजीव सरीन, पूर्व निदेशक, एडवांस सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (एसीटीआरईसी), मुंबई, थे । इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. राजीव सरीन ने उद्घाटन संबोधन में कहा कि कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग स्टेम सेल अनुसंधान एवं इसके चिकित्सीय एप्लिकेशन्स के लिए कैंसर एवं दुर्बल करने वाले अन्य विकारों के कष्टकारी संकट का प्रबंधन करने के लिए एक बहुत आशाजनक भविष्य प्रदान करते हैं । इस अवसर पर उन्होंने सम्मेलन की सार पुस्तक भी जारी किया, डिजिटल एवं पत्रावरणबद्ध (पेपरबैक) दोनों प्रारूप में ।
विशिष्ट अतिथि, प्रोफेसर हर्मन स्टालर, संयुक्त राज्य अमेरिका, रॉकफेलर यूनिवर्सिटी ने कोशिका मृत्यु(सेल डेथ) को नियंत्रित करने वाले तंत्रों एवं कैंसर एवं विषविज्ञान में इसकी भूमिका के बारे व्याख्यान दिया। इस अवसर पर उन्होंने सम्मेलन की स्मारिका पुस्तक भी जारी किया।
डॉ. रेमंड बर्ज, प्रोफेसर, न्यू जर्सी मेडिकल स्कूल, यू.एस.ए. एवं संस्थापक सदस्य, इंटरनेशनल सेल डेथ सोसाइटी (आईसीडीएस) ने आईसीडीएस की उत्पत्ति एवं कार्यप्रणाली तथा अपने 24 वर्षों के कार्यों से सभा को अवगत कराया । उन्होंने अपने संबोधन में यह उल्लेख किया कि आईसीडीएस का उद्देश्य समाज तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अपनी अगली वार्षिक बैठक भारत में आयोजित करना है।
सीएसआईआर-आईआईटीआर के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि वास्तव में यह हमारे संस्थान के लिए एक सम्मान है कि उसे इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की मेजबानी का अवसर प्राप्त हुआ है । उन्होंने आगे कहा कि सम्मेलन के परिणामस्वरूप मौलिक एवं प्रायौगिक (बेसिक एंड एप्लाइड) विज्ञान के एकीकरण के साथ-साथ वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं से बातचीत करने एवं सीखने के लिए अवसर भी प्राप्त होगा । उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थापित करने में उत्प्रेरक होगा।
देश – विदेश के चिकित्सकीय विशेषज्ञ, कैंसर जीवविज्ञानी एवं स्वास्थ्य वैज्ञानिक इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। डॉ. डी. कार चौधुरी, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर- आईआईटीआर एवं अध्यक्ष, आयोजन समिति, सीडीसीटी -2018 ने जीन-पर्यावरण पारस्परिक प्रभाव (इंटरैक्शन) एवं कैंसर रोग – निदान में इसकी भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉ कौसर महमूद अंसारी एवं डॉ प्रदीप कुमार शर्मा, आयोजन सचिव, सीडीसीटी -2018 ने क्रमशः स्वागत संबोधन दिया एवं धन्यवाद ज्ञापित किया ।
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