सुसाइड के भाव किसी भी उम्र में आ सकते हैं : मोअज्जम

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ईश्वर शरण में सुसाइड पर व्याख्यान

सुसाइड के भाव किसी भी समय, किसी भी वर्ग, किसी भी उम्र में आ सकते हैं। मेंटल केस बहुत बड़ी समस्या नहीं होती। ये सामान्य जीवन का हिस्सा है। बस इसका सही समय पर उपचार होना चाहिए।

उक्त विचार मुख्य वक्ता इलाहाबाद रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन विभाग से आए मुख्य वक्ता मोअज्जम अहमद ने मंगलवार को ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में विश्व आत्महत्या रोधी दिवस के अवसर पर विषय ‘‘चेंजिंग द नैरेटिव ऑन सुसाइड : स्टार्ट द कन्वरसेशन’’ में व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि सबसे पहले आपको अपनी खुद की सहायता करनी चाहिए। एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। दूसरे के संवेगों को समझना चाहिए। इस तरह की सामाजिक जिम्मेदारी अगर आपमें है तो दिमागी समस्याएं बहुत कम देखने को मिलेंगी। उन्होंने आत्महत्या के संदर्भ में कहा कि अक्सर लोग आत्महत्या निराशा के चलते करते हैं। जिसके लिए अवसाद द्विध्रुवीय विकार, शराब की लत या मादक दवाओं का सेवन जैसे मानसिक विकारों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। तनाव के कारक जैसे वित्तीय कठिनाइयाँ या पारस्परिक सम्बन्धों में परेशानियों की भी अक्सर एक भूमिका होती है।

प्रॉक्टर प्रो. मान सिंह ने कहा कि इस संसार में अनेक लोग सुसाइड करते हैं। सबके अलग-अलग कारण होते हैं। जिसमें सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनैतिक और शैक्षणिक समस्याएं हैं। गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी ये समस्त समस्याएं दिमागी कारण बनती हैं, जिससे लोग आत्महत्या करते हैं। विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ. अंजना श्रीवास्तव ने कहा कि जीवन का मूल उद्देश्य तनाव मुक्त होना चाहिए। हम सबसे पहले अपने बारे में सोचें फिर दूसरे के। हम जितना प्यार खुद से करते हैं, उतना ही प्यार पड़ोस से भी करें।

कार्यक्रम में वक्तव्य का सारांश अंग्रेजी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विजय तिवारी एवं आभार ज्ञापन डॉ. विवेकानन्द त्रिपाठी ने तथा संचालन शोधार्थी रामवृक्ष यादव ने किया। इस अवसर पर कॉलेज के शिक्षक, छात्र-छात्राएं, कर्मचारी एवं समस्त शोधार्थी उपस्थित रहे।

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