सियासत और दुर्व्यवस्था के बीच गौवंश लाचार

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सियासत और दुर्व्यवस्था के बीच गौवंश लाचार

लखनऊ। गोवंश पर राजनीति बड़े जोर शोर से चर्चा का विषय बना हुआ है, सभी अपने समीकरणों को साधने में जुटे हुए हैं किसी का यह चुनावी एजेंडा बना हुआ है तो कोई इसको सियासी बयान बाजी बना रहा है लगता है आने वाले चुनाव में मुख्य बिंदु का केंद्र  गोवंश प्रजाति का होगा, कोई 2019 का चुनाव इसी बिंदु पर चमकाना चाहता है तो  कोई इसका विरोध, अब तो लगता यही है कि या तो राजनीतिक दल चमक जाएंगे या तो गौवंश की तकदीर चमक जाएगी यह कह पाना बहुत मुश्किल है किंतु यह बात तो तय है कि इन सभी का खास असर वास्तविकता में गौवंश की दुर्दशा को सुधार पाना कठिन है, जिस तेजी से आज निराश्रित गौवंश की संख्या बढ़ी है उतनी ही दुगुनी रफ्तार से उनकी दुर्व्यवस्था भी बढ़ी जिसे नकारा नही जा सकता है। गौवंश की रक्षा को लेकर जहाँ समाज के बीच अच्छा सन्देश गया हो पर इससे ज्यादा तो इन निराश्रित गौवंश की सुरक्षा, एवं मुख्य रूप से संरक्षण की उचित व्यवस्था न होने से हमारे प्रदेश के किसानों के फसलों का नुकसान, इन लावारिस पशुओँ के चारे/ पानी की व्यवस्था न होने से यह मूक पशु शहर के सड़को व ग्रामीण क्षेत्रो में घूमते है सड़को पर इन निराश्रित पशुओँ की बढ़ती संख्या से कही कही जाम की स्थिति बनती है तो कही दुर्घटना का मुख्य स्रोत भी, दुर्घटना में घायल गौवंश बिना उचित चिकित्सा व देखभाल में दम तोड़ देते है यह देख कर बहुत दुःख होता है कि हमारी राजनीति दल अपने समीकरणों को साधने में सिर्फ हर एजेंडे को ऐलान तो कर देते है किंतु वास्तविकता में धरातल पर कुछ नही होता है प्रदेश के इस नई सरकार का कार्य बहुत ही सराहनीय रहा गौवंश के प्रति, किंतु इससे ज्यादा तो तब सराहनीय होता जब यथार्त जीवन मे इसका परिणाम उचित तरीके से दिखाई देता आज भी इन पशुओँ की स्थिति वैसी ही है जैसे पहले हुआ करती थी। यह निराश्रित पशु जिस प्रकार पहले अपने जीवन यापन को पूर्ण करने हेतु कूड़ों के ढेरों व प्लास्टिक कचरे से अपना पेट भरते थे वैसे ही आज भी आपको शहरों में जगह लगे कूड़ों के ढेर के पास यह गौवंश (पशु) अपने पेट को भरने के लिए घूमते नज़र आ जाएंगे, हम कैसे मान ले कि इन पशुओँ के दिन अच्छे आ गए इनकी आज की स्थिति देख कर यही लगता है कि इन पशुओँ के अच्छे दिन आये या न आये किंतु इनके नाम की माला फेरने वालों के अच्छे दिन ज़रूर आ गए हैं।
यदि कोई लावारिस पशु घायल/ बीमार हो तो वह वही पड़े पड़े दम तोड़ देता है उसके लिए न सरकार के पास उचित चिकित्सा प्रबंध है न तो आम आदमियों में इतना साहस कि वह उस पशु की उचित व्यवस्था कर सके। पशुचिकित्सालय है पर पशुओँ के डॉक्टर नही, कही डॉक्टर है तो लावारिस पशुओँ के इलाज के लिए दवा नही, जिस प्रकार से हम लोगो (मानवजाति) हेतु सचल चिकित्सा, एवं एम्बुलेंस व चिकित्सालयो पर सभी प्रकार की दवा व जांच मुफ्त की गई है उसी प्रकार से हमारे प्रदेश की सभी पशु चिकित्सालयो की दुर्दशा को सुधारा जाना चाहिए जहां सचल पशुचिकित्सा, जो कि सिर्फ लावारिस पशु के इलाज हेतु उस स्थान पर पहुँचे जहां घायल/ बीमार पशु हो, मुफ्त दवाएं उपलब्ध हो कयुकि यदि हम आप को रास्ते मे कोई पशु बीमार, घायल दिखता है तो सिर्फ हम इएलिये मदद नही करते है उसकी, कयुकि लोगो को पता है कि उसके इलाज़ के सभी खर्चे दवा आदि का स्वयं लगाना पड़ेगा अतः यदि प्रदेश के सभी पशुचिकित्सालय पर मुफ्त दवा व जांच पशुओँ के लिए उपलब्ध होंगी तो कई हद तक हम लोगो को जागरूक कर सकते हैं। हमारे प्रदेश के लगभग दो करोड़ सीमांत एवं लघु प्रकार के किसान है जिनको अति गरीब किसान भी कह सकते है उनको भी इस गौवंश प्रजाति को अपनाने हेतु उचित व्यवस्था कर प्रत्येक किसान को गौ को उपलब्ध कराया जा सकता है जिससे जो पशु किसान के फसल को नष्ट करते है, या किसान द्वारा अपने खेतों के सुरक्षा में लगाये गए कटीलो तारो से पशुओँ की दुर्घटना में सुधार होगा। गौरक्षकों को भी समझना होगा कि गौ की रक्षा सिर्फ बूचड़खाने बन्द करा देना मात्र ही पर्याप्त नही है, अपितु वास्तविकता में तो गौ रक्षा, सुरक्षा जब होगी जब लोगो को इस मूक पशुओँ की सेवा भाव एवं दयाभाव की ओर प्रेरित करेंगे सबसे मुख्य वजह है हमारे द्वारा उपयोग कर बाहर फेंका गया प्लास्टिक कचरा जिसमे हम फल सब्जी एवं बचे भोजन को फेक देते है जिसको यह पशु पॉलीथीन के साथ खा जाते है यह प्लास्टिक ही उनके जीवन को छीन लेता है अतः गौ तस्करी के साथ साथ प्लास्टिक पर भी रोक लगाकर उचित मायने में तभी गौ संरक्षण किया जा सकता है, शहरी व ग्रामीण क्षेत्रो में लोगो के द्वारा अनियमित रूप से कब्ज़ा किये गए भूमि को मुक्त कराकर इन लावारिस पशुओँ के चारागाह हेतु एवं इनके पेलें पोषण हेतु व्यवस्था किया जाना चाहिए सिर्फ गौवंश की रक्षा सुरक्षा और संरक्षण का भरोसा मात्र ही काफी नही है अपितु एक उचित एवं ठोस रणनीति के तहत कार्य कर धरातल पर दिखाई देना चाहिए।

मुझे हमारे प्रदेश के प्रभावशाली, लोकप्रिय मुख्यमंत्री जी से उम्मीद है कि उनका वह कथन जो कि गॉव, गाय और गंगा को बचाये बिना राष्ट्र नही बचेगा को ज़रूर पूर्ण करेंगे जिससे लोगो मे आपके द्वारा किये गए सरोकारों से जुड़े एजेंडे पूर्ण रूप से धरातल पर दिखे।

लेख =डॉ. कुमार मंगलम यादव ( पशु चिकित्सक)


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