लखनऊ-मंगलवार को संसद में शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गया। इस बिल का कई परिवारों पर असर होगा। केवल उत्तर प्रदेश को ही ले लें, तो कम से कम 1,519 संपत्तियां ऐसी हैं, जिनका मालिकाना हक इस बिल के पास होने से प्रभावित होगा।
पुश्तैनी जायदाद पर परिवार के वारिसों का अधिकार खत्म हो जाएगा। उत्तर प्रदेश की 1519 शत्रु संपत्तियों में कम से कम 622 ऐसे हैं, जिन्हें संरक्षकों के हवाले किया जा चुका है। 897 संपत्तियां ऐसी हैं, जिनके संरक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल इस बिल को आगे की प्रक्रिया के लिए विधि निर्माण शाखा के पास भेजा जाएगा। मुंबई स्थित मुख्यालय से दिशानिर्देश जारी होने के बाद ही संरक्षकों की भूमिका शुरू हो सकेगी।
महमूदाबाद के राज परिवार की बात करें, तो साल 2005 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद उनकी कई संपत्तियां उन्हें सौंप दी गई थीं। इसके लिए राजपरिवार ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। फिर 2010 में शत्रु संपत्ति अध्यादेश के ऐलान के बाद फिर से इन संपत्तियों का अधिकार सरकारी संरक्षक के पास चला गया। इस फैसले के खिलाफ राजा ने एक बार फिर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने इस अध्यादेश को भारतीय संविधान के बुनियादी अधिकारों के खिलाफ बताते हुए इसके खिलाफ अपील की। बिल पर प्रतिक्रिया करते हुए राजा की ओर से कहा, ‘सरकार इस बिल को पारित करवाने की जल्दी में थी। इसका मकसद समाज के एक विशेष धड़े को खुश करना है। समाज का एक खास तबका कुछ विशेष किस्म के हिंदुत्व विचार रखता है, लेकिन बहुसंख्यक आबादी इन विचारों से सहमति नहीं रखती। अब केवल न्यायपालिका में ही मेरा भरोसा बचा है। यह फैसला कई अनसुनी आवाजों को प्रभावित करेगा।’
महमूदाबाद के वर्तमान राजा के पिता साल 1957 में पाकिस्तान कुछ रोज़ के लिये चले गए थे, लेकिन उनकी मां रानी कनीज आबिद और खुद वह पाकिस्तान ना जाकर भारत में ही रह गए। उन्होंने भारत की अपनी नागरिकता को भी नहीं छोड़ा। 1965 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने लगा, तब शत्रु संपत्ति (निगरानी और पंजीकरण) आदेश 1962 जारी किया गया। साल 1973 में वर्तमान राजा महमूदाबाद के पिता की लंदन में मौत हो गई और उनको ईरान मे दफन किया गया. पिता की मौत के बाद भारत में स्थित उनकी पूरी संपत्ति का अधिकार वर्तमान राजा महमूदाबाद को मिल गया।
उनका दावा है कि वह भारतीय नागरिक हैं और इसके कारण उनके पुश्तैनी जायदाद पर उनका कानूनी अधिकार है। दिलचस्प बात यह भी है कि देश की उच्चतम अदालत ने उनके इस अधिकार को स्वीकार भी किया और उनको एक बार फिर सम्पतियों पर क़ब्ज़ा मिल गया लकिन यह सफलता कुछ ही साल रही और २०१० में पूरी सम्पतियों पर फिर अदालती ताला डाल दिया गया .इस क़ानून के बनाये जाने से पहले ही इसका विरोध हो रहा था वास्तव मे कांग्रेस की केंद्रीय सरकार ने इस क़ानून को बनाने की पहल की थी.जबकि राजा महमूदाबाद उत्तर प्रदेश विधान सभा में कांग्रेस पार्टी के दो बार सदस्य रह चुके हैं.इस का एक कारण यह बताया जा रहा है कि उस समय के केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम शत्रु प्रॉपर्टी कही जा रही सम्पति के किरायदारों के वकील रह चुके थे.
मुस्लिम समाज में इस क़ानून बनने से रोष और मायूसी है क्योंकि सम्पतियों पर अधिकांश क़ब्ज़ा मुस्लिमों का है ..दूसरी ओर राजा महमूदाबाद को निशाना बनाने पर भी मुस्लिम समाज न खुश है.उसका कहना है कि जब देश की सब से बड़ी अदालत ने 2005 में राजा के हक़ में फैसला करदिया था तो पांच बार आर्डिनेंस लाकर क़ानून बनाना मुस्लिम परिवारों को निशाना बनाने से अधिक कुछ नहीं.
जबकि महमूदाबाद और उसके निकट की विभिन्न ज़मीनों पर राजा और उनके पुरखों से सद्भावना और अपनी हिन्दू प्रजा के लिये मंदिरों के लिये सम्पति दान की और आज भी वहां संगत के शानदार भवन देखे जा सकते हैं
enemy property
मीडिया खबरों के मुताबिक, सैफ अली खान की भोपाल स्थित संपत्ति पर भी इस बिल का असर पड़ सकता है। सैफ के पिता मंसूर अली खान पटौदी की मां साजिदा सुल्तान बेगम भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान की छोटी बेटी थीं। हमीदुल्ला खान की केवल दो बेटियां ही थीं। उनकी बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान 1950 में पाकिस्तान जाकर बस गई थीं।
enemy property
हमीदुल्लाह खान के इंतकाल के बाद भोपाल उत्तराधिकार कानून 1947 के तहत संपत्ति का अधिकार साजिदा सुल्तान बेगम को मिल गया। इस संपत्ति पर शत्रु संपत्ति बिल का असर पड़ने की संभावनाओं पर पटौदी परिवार के वकील ने कहा था कि इसका उनके दावे पर असर नहीं पड़ेगा।