राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) का तीन दिवसीय मंथन जारी है. संघ का उद्देश्य कार्यक्रम के विषय से प्रतिबिंबित हो रहा है.
संघ के इस कार्यक्रम में चर्चा का विषय कुछ यू है “भारत का भविष्यः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण”. संघ ने अपने इस कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं को अपने आयोजनों में आमंत्रित किया है. और संघ का ये फैसला एक चतुर राजनीति की तरफ इशार कर रहा है. संघ ने उन सभी लोगो को आमंत्रित किया है RSS ने जिनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर रखा है.
RSS इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन कर क्या अपनी छवि को सुधारने की कोशिश कर रहा है या भारत की राजनीति मे खुल कर सामने आने की कोशिश कर रहा है.
गौरतलब है कि नागपूर में आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित्त कर अपनी इस चतुर राजनीति की शुरुआत पहले ही कर चुका हैं.
संघ से जुड़े लोगों का कहना है कि आरएसएस अब हिचकना नहीं चाहता और यह देश को खुल कर संदेश देना चाहता है कि वो विचारधारा के केंद्र में है.
वहीं कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की कार्यक्रम मे उपस्थिति को लेकर स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह रही है. पार्टी का कहना है कि राहुल गांधी उनके कार्यक्रम में ज़रूर जाते अगर उन्हें वहां बोलने को कहा जाता. वो उस विचारधारा को सिर्फ सुनने क्यों जाएंगे जिसका वो विरोध करते हैं.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि वो आरएसएस को बहुत कम जानते हैं. उन्हें जो मालूम है वो यह है कि सरदार पटेल ने संघ पर प्रतिबंध लगाया था और वो स्वयं इससे दूर रहना चाहते हैं.
विज्ञान भवन में चल रही चर्चा एक तय योजना की दूसरी कड़ी है. पहली कड़ी का आयोजन मुंबई में हुआ था, जिसमें भी सरसंघचालक मोहन भागवत बोले थे.
विज्ञान भवन में इस कार्यक्रम का आयजन कर ना सिर्फ देश की जनता और अपने विरोधियों बल्कि बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी यह बताना चाहता है कि संगठन की ताक़त पार्टी से कितनी बड़ी है.