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आये दिन हो रहा धरना-प्रदर्शन व चक्काजाम
अवधनामा ब्यूरो
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गोरखपुर । सरकार बदलने के बाद घनी आबादी में स्थित शराब की दुकानों को बंद कराने को लेकर लोगों में जागरूकता आई है। लगभर हर रोज़ शहर के किसी न किसी हिस्से में ऐसी दुकानों को लेकर प्रदर्शन हो रहा है। ऐसी घनी आबादियों में से एक मियां बाजार मोहल्ले के बीचों-बीच देसी शराब की भट्टी और उससे चंद कदमों के फासले पर स्थित बियर शॉप को हटाने के संबंध में स्थानीय नागरिकों ने घोष कंपनी चौराहे पर चक्का जाम कर दिया। मौके पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट जी0पी0 श्रीवास्तव ने नागरिकों को समझा-बुझाकर जाम को समाप्त करवाया इस मौके पर सीओ कोतवाली मनोज पाण्डेय के साथ कोतवाली पुलिस मुस्तैद नज़र आई । सड़कों पर बड़ी संख्या में उतरे इन लोगों का कहना था कि मोहल्ले के बीच में देसी शराब की भट्टी व बियर शॉप है जिस को हटाने के लिए उन्होंने पिछले 10 वर्षों में कई बार संबंधित अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई । जहां एक तरफ इन दुकानों पर दिनभर शराब पीने वालों की भीड़ लगी रहती है, गाली गलौज और मारपीट होती रहती है । वहीं आस-पास के घरों की महिलाओं का निकलना अब मुश्किल होता जा रहा है शराब पीने वाले ऐसी स्थिति उत्पन्न कर देते हैं कि महिलाओं और लड़कियों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है । घोष कंपनी चौराहे से महिला अस्पताल के बीच बाएं तरफ गली में बियर शॉप स्थित है और वहीं कुछ कदम की दूरी पर देसी शराब की भट्टी है। यदि शराब के इन ठिकानों की भौतिक स्थिति देखी जाये तो इसके एक ओर जिला अस्पताल है तो दूसरी ओर मंदिर जबकि आंगनबाड़ी की दीवार के पास देशी शराब भट्ठी और पास ही मुख्य मार्ग से सटे बियर शाप साथ ही कुछ ही दूरी पर शहर के दो बड़े महिला गर्ल्स कॉलेज स्थित हैं। घनी आबादी में स्थित इन दुकानों के सामने से होकर ही मोहल्ले की महिलाओं और स्कूल जाने वाली लड़कियों को गुज़ारना पड़ता है।
इस संबंध में स्थानीय निवासी मनीष कुमार मिश्रा एडवोकेट का कहना है कि लगभग 15 दिन पहले जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया गया, जिसकी जांच सीओ कोतवाली को करना था लेकिन शनिवार को 12 दिन बीत जाने के बाद भी सीओ कोतवाली मौके पर नहीं आये। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने जल्द ही इन दुकानों को बंद नहीं करवाया तो वह आमरण अनशन पर बैठेंगे। बहरहाल सवाल ये है कि योगी के शहर में जनता शराब बंदी के मुद्दे पर में सड़कों पर उतर रही है तो ऐसे में प्रशासन का क्या रुख होगा ।
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