यू कैन कंट्रोल योर अस्थमा-डॉक्टर राहुल श्रीवास्तव

0
154

join us 9918956492
विश्व अस्थमा दिवस पर हुए विविध आयोजन

लखनऊ । विश्व अस्थमा दिवस प्रत्येक वर्ष मई महीने के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। राजधानी में मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस पर विविध आयोजन आयोजित किए गए। राजधानी के प्रेस क्लब में विश्व अस्थमा दिवस पर  डॉक्टर राहुल श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए अस्थमा रोग संबंधित भ्रांतियों को दूर किया । डॉक्टर राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि अस्थमा कोई लाइलाज बीमारी नहीं है परंतु यदि इसका सही उपचार न करवाया जाए तो यह बीमारी बढ़कर दमा रोग में बदलने का खतरा लगातार बना रहता है । अस्थमा रोग होने में एलर्जी भी एक बहुत बड़ा कारण है और इस रोग से बचने के लिए वातावरण को साफ-सुथरा रखना अति आवश्यक है।

https://youtu.be/OQiakp30E_M

मशहूर चैस्ट चिकित्सक राहुल श्रीवास्तव  ने प्रेस क्लब में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि 1998 से लगातार पूरे विश्व में अस्थमा रोग के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है । इस वर्ष यह दिवस यू कैन कंट्रोल योर अस्थमा के नाम से मनाया जा रहा है । इस वर्ष की थीम के अनुसार अस्थमा के कारण हस्पताल में होने वाली भर्तियों की संख्या को आधी फीसदी से ज्यादा कम करना है । अस्थमा को एक गंभीर बीमारी बताते हुए डॉक्टर बी पी सिंह ने बताया कि लगातार खांसी आना सांस फूलना, सांस में सीटी जैसी आवाज आना या सीने में दर्द होना अस्थमा के प्रमुख लक्षण हो सकते हैं । उन्होंने बताया की वर्ष 2016 तक अस्थमा के मरीजों की संख्या भारत में बढ़कर 35 मिलियन तक पहुंच गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार 2 करोड़ से ज्यादा लोग अस्थमा के कारण काल के ग्रास बन चुके हैं । अस्थमा बच्चों में भी सबसे ज्यादा होने वाली गंभीर बीमारियों में से एक है । इसके अलावा घर की साफ सफाई, पालतू पशुओं का होना भी अस्थमा का एक कारण बन सकते हैं । अस्थमा से बचने के तरीके बताते हुए राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि अस्थमा के मरीजों को धूल और धुएं से बचना चाहिए, धूम्रपान से परहेज करना चाहिए तथा इन्हेलर का सही तरीके से प्रयोग करना चाहिए। अस्थमा रोग में इन्हेलर को लेकर चल रही गलतफहमी को समाप्त करने की बात करते हुए डॉक्टर राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि इन्हेलर अस्थमा के मरीजों को ज्यादा लाभ पहुंचा सकता है क्योंकि दवाइयों की अपेक्षा इन्हेलर में दवा की मात्रा मात्र 10% तक ही होती है जो शरीर को कम नुकसान पहुंचाती हैं।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here