मुख्यमंत्री के जिले में बिना अस्पताल बने हो गयी 95 नियुक्तियां
https://youtu.be/PDUNRtlKxrM
50 स्थाई कर्मियों को हो रहा वेतन का भुगतान जबकि संविदा कर्मियों को 14 माह से कोई वेतन नहीं
घोटाले की नई इबारत लिखता टीबी कम सामान्य चिकित्सालय
https://youtu.be/wXFCFP5kt2E
मनव्वर रिज़वी/आदर्श श्रीवास्तव
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गोरखपुर। अभी अस्पताल पूरी तरह बना भी नहीं और लगभग 14 माह पहले गुपचुप तरीके से उसके लिए चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ की एक दो नहीं कुल 95 नियुक्तियां भी कर ली गईं। यह बढ़ा घोटाला हुआ है प्रदेश के मुख्य मंत्री आदित्यनाथ योगी के शहर गोरखपुर में, जहाँ शहर के नंदानगर (निकट एयरफोर्स स्टेशन) में निर्माणाधीन 100 बेड के टीबी कम सामान्य चिकित्सालय में 95 भर्तियां कर ली गयी। यह मामला तब खुला जब 31 मार्च को यहाँ नियुक्त किये गए 45 संविदा कर्मियों से मुख्य चिकित्साधिकारी रविन्द्र कुमार ने कहा कि अभी टीबी अस्पताल शुरू नहीं हुआ है इसलिए आप लोगों को अब आने की ज़रूरत नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन 45 संविदा कर्मियों को नियुक्ति से लेकर आज तक 14 माह बीत जाने के बाद भी वेतन के रूप में कोई भुगतान नहीं किया गया। इसमें 15 स्टाफ नर्स हैं और 30 चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। जहां एक तरफ संविदा कर्मियों को पिछले 14 माह से वेतन का कोई भुगतान नहीं किया गया वहीं इसी चिकित्सालय के लिए 50 स्थाई नियुक्तियां भी की गई थी और इनको समय से वेतन का भुगतान किया जा रहा है। ये अलग बात है कि टीबी कम सामान्य चिकित्सालय के लिए नियुक्त 25 चिकित्सक व 25 पैरामेडिकल स्टाफ से कहाँ काम लिया जा रहा है जबकि जिस अस्पताल के लिए इनका चयन किया गया, वहां अस्पताल की बिल्डिंग तो तैयार है लेकिन सम्पर्क मार्ग, स्टाफ के लिए आवास व अन्य जरूरी निर्माण अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। बिजली की सप्लाई के लिए ट्रांसफार्मर तो लग गया लेकिन अभी तक उसको विधुत कनेक्शन नहीं मिल पाया कुल मिलाकर अभी तक यह अस्पताल निर्माण की प्रक्रिया में हैं। यह बुधवार 5 अप्रैल 2017 तक की स्थित है। अब आप सोच सकते हैं कि 14 माह पहले यहां क्या स्थिति रही होगी। आखिर ऐसी कौन सी जल्दी थी की 50 स्थायी और 45 संविदा कर्मियों की नियुक्ति बिना अस्पताल का निर्माण हुए ही कर ली गयी।
सीएमओ कार्यालय पर धरने पर बैठे इन संविदा कर्मियों का बुधवार को तीसरा दिन था लेकिन अभी इनकी आवाज़ जिम्मेदारों के कानों तक नहीं पहुँच पा रही है । वैसे भी पिछली सरकार में जिस तरीके से इस अस्पताल के लिए गुपचुप नियुक्तियां की गई और यहाँ नियुक्त 50 स्थाई कर्मचारियों को जिस तरह बिना काम के वेतन का भुगतान हो रहा है वो जाँच का विषय है। इस सबसे अलग बात यह है कि संविदा कर्मियों को 14 माह से वेतन नहीं दिया गया और 31 मार्च के बाद इनका अनुबंध भी समाप्त कर दिया गया। यह कंही न कहीं इस ओर इशारा है कि अस्पताल के लिए नए सिरे से संविदा कर्मियों की नियुक्ति का खेल शुरू किया जा सकता है।