मुख्यमंत्री का जिला, पर्याप्त एआरबी लेकिन मरीजों की पहुँच से दूर, जिम्मेदार कौन ?

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मुख्यमंत्री का जिला, पर्याप्त एआरबी लेकिन मरीजों की पहुँच से दूर, जिम्मेदार कौन ?

सीएमओ के पास 2000 वायल वैक्सीन उपलब्ध होने के बावजूद जिला अस्पताल से बिना वैक्सिनेशन के वापस लौट रहे थे मरीज़


अवधनामा ब्यूरो
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गोरखपुर। जिले में एआरबी का स्टॉक मौजूद होने के बावजूद मरीज़ों को उपलब्ध न होना व्यवस्था पर एक प्रश्नचिन्ह और गरीबों व जरूरतमंदों को समय से सही इलाज उपलब्ध कराने की सरकारी मंशा का चीरहरण करने जैसा है। पिछले दिनों तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिला चिकित्सालय में एंटी रेबीज वैक्सीन यानी कुत्ता काटने पर लगाए जाने वाला इंजेक्शन नहीं लग रहा था । कारण ये बताया गया कि यहां वैक्सिंग समाप्त हो गई थी, परंतु विगत 20 अप्रैल को चिरान बेहरिंग प्राइवेट लिमिटेड, मुम्बई द्वारा गोरखपुर जिले के सीएमओ को 2000 वायल वैक्सीन सप्लाई कर दी गई थी बावजूद इसके जिले में वैक्सीन पूरी तरीके से उपलब्ध थी फिर भी मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। अब सवाल ये उठता है कि 2000 वायल वैक्सीन आखिर गई कहाँ। जिला अस्पताल से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार मार्च महीने में 6197 मरीजों को एआरबी लगाई गई जबकि 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 की अवधि में 46440 मरीजों को एआरबी लगाई गई। इनमें जिले की तो छोड़िए बिहार व बलिया तक के मरीज शामिल हैं।
इस सम्बन्ध में नेताजी सुभाष चंद बोस जिला चिकित्सालय के एसआईसी का कहना है कि वित्तीय वर्ष प्रारम्भ होते ही 1 अप्रैल 2017 को चिरान बेहरिंग प्राइवेट लिमिटेड मुंबई को वैक्सीन का ऑर्डर दिया गया था परंतु वहां से वैक्सीन की सप्लाई नहीं की गई । इसके बाद अब इंडियन इम्यूनोलॉजीकल लिमिटेड लखनऊ को वैक्सीन का ऑर्डर दे दिया गया है जो शनिवार तक प्राप्त हो जाएगी। वैक्सीन न होने की दशा में कई बार सीएमओ को पत्र लिखकर 1000 वायल वैक्सीन की मांग की गई परंतु मुख्यमंत्री के आगमन के समय केवल 50 वायल वैक्सीन सीएमओ द्वारा उपलब्ध कराया गया था जो 2 दिन में समाप्त हो गई । फिलहाल खुले बाजार से एआरबी प्राप्त करके 2 अप्रैल से अस्पताल में वैक्सीनेशन का काम फिर से शुरू करा दिया गया है ।
एआरबी के संबंध में पिछले दिनों सीएमओ रविन्द्र कुमार ने बताया था कि जिले भर के सीएचसी/पीएचसी पर एआरबी उपलब्ध है और मरिजों को वैक्सीन लगाई जा रही है। अब सवाल यह उठता है कि अगर सीएचसी/पीएचसी पर एआरबी लगाई जा रही है तो कोई मरीज़ अपने नजदीक के केंद्र को छोड़कर कई किलोमीटर का सफर तय कर बड़ी संख्या में जिला अस्पताल पर क्यों आ रहे हैं। वही जिला अस्पताल से प्राप्त आकड़ों पर एक बार फिर नज़र डाली जाए तो 1 मई 2017 को जिला अस्पताल पर कुत्ता काटने पर इंजेक्शन लगवाने के लिए कुल 168 मरीज़ आये। जबकि उस दिन वैक्सिनेशन नहीं हो रहा था, फिर भी 168 मरीज़ आये, जिसमे से केवल 70 मरीज ही शहरी इलाकों से थे बाकि 98 मरीज़ जिले के ग्रामीण इलाकों से आये, जिसमें मुख्य रूप से चरगांवा से 7, सहजनवां से 8, खोराबार से 21, पिपराईच से 7, खजनी से 13, बेलीपार से 8, भटहट से 4, पिपरौली से 5, कैम्पियरगंज से 4, झंगहा से 4 मरीज़ शामिल थे। मजेदार बात यह है कि बहुत से मरीजों ने अपने सीएचसी/पीएचसी पर एआरबी के लिए शुल्क लेने की बात भी दबी जबान बताई जो जाँच का विषय है।

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