महिलाओं की आस्था नज़रअंदाज़ नहीं की जा सकती, सबरीमाला मंदिर मे पाबंदी ख़त्म

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केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने हटा दिया है. ये फैसला सूप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सुनाया है. जिसकी अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा कर रहे थे.

संविधान पीठ ने आठ दिनों तक सुनवाई करने के उपरांत 1 अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आपको बता दें कि सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक  थी. इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य ने इस प्रथा को चुनौती दी है. उन्होंने यह कहते हुए कि यह प्रथा लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है, इसे खत्म करने की मांग की थी.

दिल्ली महिला आयोगी की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि महिलाएं हर मामलों में पुरुषों के बराबर होती हैं और उन्हें सभी धार्मिक स्थानों में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए, चाहे वह मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च क्यों न हो. ऐसा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद.

चीफ जस्टिस ने कहा कि पूजा का अधिकार सभी श्रद्धालुओं को है. उन्होंने कहा कि सबरीमाला की पंरपरा को धर्रम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना जा सकता.

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