मप्र का मोह नहीं छोड़ पा रहे पश्चमी उप्र प्रभारी ….

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2003

लखनऊ। लोकसभा चुनाव में प्रदेश के राजनैतिक महत्व को देखते हुए कांग्रेस ने चुनाव से पूर्व प्रदेश में प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को महासचिव बना कर पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी। बीती 11 फरवरी को राजधानी लखनऊ में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और दोनों महासचिव प्रियंका गांधी व ज्योतिरादित्य सिंधिया का भव्य स्वागत हुआ, जिसके बाद दोनों महासचिवों ने तीन दिन प्रदेश कार्यालय में कांग्रेस की नब्ज टटोली। तीन दिनों तक चली मैराथन बैठक के बाद लगने लगा कि कांग्रेस मिशन यूपी में पूरी तरह से जुट गयी है और उम्मीद से ज़्यादा सीटों पर सफलता हासिल करेगी। लेकिन अब पश्चिमी उत्तरप्रदेश के नेताओं में प्रभारी को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति नजऱ आने लगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी प्रदेश से अधिक मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव व पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गाँधी की नाव यात्रा के बाद अब ट्रेन यात्रा और फिर रोड शो के बीच यह भी चर्चा होने लगी थी कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश में भी कांग्रेस अपने प्रभारी के नेतृत्व में आम लोगों तक पहुंचने की रणनीति के तहत पहुंचने का कार्यक्रम बनाएगी लेकिन प्रभारी अपने राज्य में ज़्यादा सक्रिय हो गए। जिस तरह विधानसभा चुनावों में कड़ी मेहनत कर कांग्रेस को सफलता दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाई उसी तरह लोकसभा चुनावों में भी पार्टी का विजय पताका फहराने में सबसे आगे रहने का रिकॉर्ड बना सकते हैं प्रभारी पश्चिमी उत्तरप्रदेश ने मप्र में उपमुख्यमंत्री न बनने की इच्छा भी ज़ाहिर की थी। सूत्रों के अनुसार पश्चिमी उप्र का कार्यकर्ता और प्रत्याशी भी राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के दौरे की ज़्यादा मांग करने लगे हैं राज बब्बर जैसे नेता के नामांकन में भी प्रभारी का न पहुंचना चर्चा का विषय है और इनका मप्र में सक्रीय रहना भी कार्यकर्ताओं में अलग ही संदेश दे रहा है।

सय्यद काज़िम रज़ा शकील

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