बेख़ौफ नजऱ आते हैं हर मोड़ पर क़ातिल

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बेख़ौफ नजऱ आते हैं हर मोड़ पर क़ातिल
मुसिफ हो फिर उनको सज़ा क्यों नही देते
मुसिंफ ही अगर करता हो क़ातिल की वकालत
फिर क्यों कहो मुंसि$फ से सज़ा क्यों नहीं देते

वकार रिज़वी

9415018288

आज़म सिददीक़ी जब यह कहते हैं कि
बेख़ौफ़ नजऱ आते हैं हर मोड़ पर क़ातिल
मुसिफ़ हो फि र उनको सज़ा क्यों नही देते
तो इसके जवाब में $फौरन अख्तर आज़मी ने कहा कि
मुसिंफ़ ही अगर करता हो क़ातिल की वकालत
फि र क्यों कहो मुंसिफ़ से सज़ा क्यों नहीं देते
जब इन शेरों का मफ़ हूम जानना चाहा तो जवाब मिला आखिऱ कोई अपनी फ़ रियाद लेकर जाये तो कहां जाये क्योंकि हर तरफ़ बस यही शोर है कि वहां तोड़ फ ोड़ हुई वहां आगजऩी हुई फि र पुलिस ने कार्यवाही की, और अब दबिश पर दबिश हो रही है शक की बुनियाद पर घरों से लोग उठाये जा रहे हैं क्योंकि सरकारी सम्पित्त के हुये नुकसान की भरपाई जो उनकी मिल्कयत को नीलाम करके होनी है लेकिन इसका कहीं तसकिरा भी नहीं कि यह सड़कों पर चप्पले कैसे पड़ी हैं, इन विडियो की हक़ीक़त क्या है जिसमें लोग खड़े हैं और पुलिस लाठी चार्ज कर रही है और फि र भीड़ लाठियां खा रही है, भाग रही है, गिर रही है ऐसे में उसके चप्पल कहीं और वह कहीं, फि र पुलिस दावा कर रही है कि हमनें कहीं गोली चलायी ही नहीं और दूसरी तरफ़ लोगों के गोली लगने से मौत की ख़बरें आ रही हैं, जिन लोगों को पुलिस उठा रही है जिनकी सम्पित्ति सील की जा रही है उनके झार वालों को कहना है कि इनका तो इस एहतिजाज या इस तोडफ़ ोड़ से कोई वास्ता ही नहीं ऐसे में शायर अपनी शायरी कर रहे हैं और मुंसिफ़ को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
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